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हिमाचल में शिवा प्रोजेक्ट के तहत लगेंगे 2 लाख से ज्यादा फलदार पौधे, मंत्री खुद कर रहे हैं निगरानी

हिमाचल को बागवानी राज्य बनाने और प्रदेश के लोगों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार ने एशियन विकास बैंक से फंडेड एचपी शिवा परियोजना चला रही है. इस परियोजना को धरातल पर उतारने की बागवानी विभाग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है. एचपी शिवा पायलट परियोजना में 500 परिवारों को बागवानी से जोड़ा गया है. इसके तहत हिमाचल के निचले क्षेत्रों में 17 समूह गठित गए हैं.

शिवा प्रोजेक्ट
शिवा प्रोजेक्ट

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Published : Aug 2, 2021, 11:02 PM IST

Updated : Aug 3, 2021, 8:52 AM IST

शिमला: शिवा परियोजना( Shiva Project) के तहत 100 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं और 170 हेक्टेयर क्षेत्र में फलदार पौधे लगाए जा रहे हैं. बागवानी और जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह(Water Power Minister Mahendra Singh) ने कहा कि परियोजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए अब इसका रिव्यू किया जाएगा. अधिकारियों से परफॉर्मेंस रिपोर्ट देने को कहा गया है. यह परियोजना मुख्यतः चार जिलों में चलाई जा रही है.

प्रदेश सरकार द्वारा तैयार किए गए इस पायलट प्रोजेक्ट(pilot project) को पहले निचले हिमाचल के चार जिलों में लागू किया जा रहा है. जिनमें बिलासपुर, मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर जिले शामिल हैं. चयनित जिलों में परियोजना को लागू करने के लिए 17 समूह गठित किए गए हैं. जिनके अन्तर्गत बिलासपुर में चार, मंडी में छह, कांगड़ा में पांच व हमीरपुर जिला में दो समूह गठित किए गए हैं. एक समूह में 10 हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया गया है. चिन्हित जिलों में परियोजना के अंतर्गत लगभग 170 हेक्टेयर क्षेत्र में फलदार पौधे रोपित किए जाने हैं.

एचपी शिवा परियोजना के अन्तर्गत चिन्हित क्षेत्रों में लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. दो साल चलने वाले इस पायलट प्रोजेक्ट के माध्यम से लगभग 500 परिवारों को बागवानी गतिविधियों से जोड़ा जाएगा. परियोजना के अंतर्गत लगभग 2.50 लाख फलदार पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इनमें संतरा, लीची, अमरूद, अनार इत्यादि फलदार पौधे शामिल हैं. लॉकडाउन के दौरान बागवानी विभाग ने पौधरोपण स्थलों को तैयार कर लिया है. जुलाई व अगस्त माह में इन विभिन्न प्रजातियों के फलदार पौधों को प्रस्तावित स्थलों पर रोपित किया जाएगा.

इस पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत उन क्षेत्रों को विकसित करने को प्राथमिकता दी गई है, जहां अभी तक फल उत्पादन नहीं होता. इसके अतिरिक्त ऐसे स्थानों को भी परियोजना में शामिल किया गया है, जहां जंगली जानवरों से प्रभावित किसानों ने खेती-बाड़ी करना छोड़ दिया है, ताकि इन क्षेत्रों के लोगों को बागवानी से जोड़कर आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा सके. एशियन विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित एचपी शिवा परियोजना के पायलट प्रोजेक्ट के सफल कार्यान्वयन के बाद परियोजना का मुख्य प्रोजेक्ट वर्ष 2021-22 में आरम्भ किया जाएगा, जिस पर लगभग 1000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने प्रस्तावित हैं. परियोजना के प्रथम चरण में प्रदेश के लगभग 25 हजार परिवारों को बागवानी गतिविधियों से जोड़ा जाएगा.

प्रदेश सरकार ने बागवानों के हित में अनेक कदम उठाए हैं, जिसके अन्तर्गत फल-फसलों को ओलों से बचाव के लिए लगभग 12.50 लाख वर्ग मीटर ओला अवरोधक जालियां उपलब्ध करवाई गई हैं. सेब के बगीचों में परागण हेतु 46,265 मधुमक्खी के बक्से उपलब्ध करवाए गए हैं. फल-फसलों को बीमारियों व कीट-पतंगों से बचाने के लिए 225 मीट्रिक टन कीटनाशक अनुदान दरों पर फल उत्पादकों को उपलब्ध करवाए गए हैं. बागवानों को फलों की तुड़ाई एवं अन्य प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है. सेब, चेरी व गुठलीदार फलों की पैकिंग का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है. फलों की पैकिंग के लिए लगभग 3.5 करोड़ बक्सों की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा फल विधायन के लिए बागवानों से 8.3 मीट्रिक टन स्ट्रॉबेरी खरीदी गई है.
बागवानी मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने बताया कि एचपी शिवा परियोजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश को फल राज्य के रूप में विकसित करना है, ताकि प्रदेश के साथ-साथ लोगों की आर्थिकी को भी सुदृढ़ किया जा सके. उन्होंने बताया कि अभी तक प्रदेश के लगभग 25 प्रतिशत क्षेत्र में ही बागवानी की जाती है. उन्होंने कहा कि परियोजना में ऐसे क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है, जहां पर लोगों ने खेती करना छोड़ दिया है.

बरसात के मौसम में एचपी शिवा प्रोजेक्ट के तहत ही मंडी जिले में विभाग कलस्टर(cluster) स्तर पर पौधारोपण करने जा रहा है. इसमें भाग लेने वाले किसानों को बाड़बंदी सहित सिंचाई सुविधा की व्यवस्था विभाग नि:शुल्क करेगा. इसके अलावा एंटी हेलनेट पेड़ों पर लगाने के बजाय इसका ढांचा खड़ा किया जाएगा. योजना के तहत बन रहे कलस्टर सात ब्लॉकों में होंगे. इससे जुड़ने वाले किसानों की एक हेक्टेयर जमीन पर लगाने के लिए अमरूद, अनार, मालटा, लीची उत्तम किस्म के पौधे दिए जाएंगे. साथ ही बाड़बंदी और सिंचाई सुविधा भी नि:शुल्क रहेगी. किसानों को केवल अपनी जमीन साफ करनी होगी और खाद देनी होगी. इसके लिए किसान ब्लॉक स्तर पर उद्यान विकास अधिकारी के पास आवेदन कर सकते हैं. अगली बार विभाग की योजना 10 हेक्टेयर के कलस्टर बनाने की है.

सेब की पैदावार सराज में सबसे अधिक होती है. इसके लिए भी इस बार 47 कलस्टर बनाए गए हैं. यह कलस्टर सात ब्लॉक में है. माध्यम ऊंचाई वाले चिन्हित क्षेत्रों में स्पर्श वेरायटी के पौधे अमेरिका से आ रहे हैं. इनकी सघन खेती करवाई जाएगी. इसमें जल्द तैयार होने वाले सेब के पौधे रोपे जाएंगे. ओलावृष्टि को रोकना मुश्किल है, लेकिन इससे फसल को बचाने के लिए इस बार एंटी हेलनेट योजना के तहत इसको लगाने के लिए ढांचा खड़ा किया जा सकेगा. इसके तहत लकड़ी व लोहे का ढांचा लगाने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी. इसमें एक हेक्टेयर पर लोहे का ढांचा लगाने पर एक लाख 20 हजार तो बांस लगाने पर 80 हजार रुपये का खर्च आएगा. इसमें विश्व बैंक की योजना के तहत पौधे मंगवाए जाएंगे. सेब के अलावा नाशपाती, अखरोट, पलम आदि पौधे भी बागवानों को दिए जाएंगे.

खुंब उत्पादन में भी युवा भाग लेकर स्वरोजगार(self employed) अपना सकते हैं. इसके लिए उनको पहले विभाग से प्रशिक्षण लेना होता है. इसके बाद वह जो अपना प्लॉट लगाते हैं, उसमें 50 प्रतिशत सब्सिडी विभाग की ओर से मिलती है. जिले के कई किसान खुंब उत्पादन से अपनी आर्थिकी मजबूत कर रहे हैं.

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Last Updated : Aug 3, 2021, 8:52 AM IST

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