हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
हिमाचल विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित - मानसून सत्र का आज आखिरी दिन
14:26 September 18
हिमाचल विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
11:35 September 18
हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही
हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र का आज आखिरी दिन है.
मानसून सत्र के अंतिम दिन भटियात के विक्रम जरियाल ने आगजनी से हो रही लोगों की मौत का मामला उठाया और एक अग्निशमन केंद्र हर विधानसभा क्षेत्र में होने की मांग की. जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह घटनाएं हर क्षेत्र में हो रही है और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां समय पर नहीं पहुंच पाई. सरकार हर विधानसभा क्षेत्र में अग्निशमन केंद्र पर विचार करेगी।
इसके अलावा कांग्रेस विधायक राम लाल ठाकुर ने भाखड़ा बांध से विस्थापित हुए बिलासपुर और ऊना के लोगों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने का प्रश्न उठाया और सरकार से पूछा कि सरकार विस्थापितों के लिए क्या कदम उठा रही है. इसके जवाब में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि जिला के विधायकों की कमेटी बनी है. विस्थापितों ने अपने दुकानों और मकानों के साथ लगती जमीन पर कब्जा कर घर या ढारे बनाए हैं. जिसको नियमित करने को लेकर मामला कोर्ट में चल रहा है.
विधायकों की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने विस्थापितों की समस्याओं को लेकर रिपोर्ट डीसी के माध्यम से सरकार को भेजी है लेकिन कुटलैहड़ से विधायक वीरेंद्र कंवर की तरफ से रिपोर्ट डीसी ऊना के माध्यम से प्राप्त नहीं हुई है. शीघ्र ही कमेटी की मीटिंग बुलाकर सभी पहलुओं और कोर्ट के निर्देशों को ध्यान में रख कर विस्थापितों की समस्या का हल करने का प्रयास किया जाएगा.
कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि करुणामूलक आधार भर्ती के लिए सरकार कोई मैकेनिजम तैयार करे क्योंकि कई करुणामूलक आश्रितों को 15 साल से भी अधिक का समय हो गया है और परिवार की हालत खस्ता है. सरकार करुणामूलक आधार पर भर्ती करने के लिए शीघ्र कोई नीति निर्धारित कर समय पर इनको नौकरी देने का काम करें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि करुणामूलक आधार पर आश्रितों को जल्द से जल्द नौकरी देने की कोशिश कर रही है और दूसरे विभागों में भी खाली पड़े पदों पर करुणामूलक आधार पर आश्रितों को नौकरी देने के लिए पॉलिसी बना रही है. अनुबंध कर्मचारियों की भी नौकरी के दौरान मृत्यु होने पर आश्रितों को नियमित कर्मचारी के समान ही आश्रितों को नौकरी देने का सरकार प्रावधान किया है. कर्मचारी की मृत्यु के बाद पहले आश्रित को तीन साल के बाद भीतर नौकरी के लिए आवेदन करना होता था लेकिन अब तीन से बढ़ाकर चार साल किया गया है और आय सीमा भी डेढ़ से अढ़ाई लाख किया गया है. सरकार करुणामूलक आश्रितों को जल्द नौकरी देने के लिए वचनबद्ध है.