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जब हुआ था अटल और मनाली का मिलन तो कविताओं से खिलखिलाया हर मन - vajpayee poem recitation

देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की आज 96वीं जयंती है. अटल बिहारी वाजपेयी एक कवि भी थे. उनकी कविताओं में हर रस था जो किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता था. उनकी कविताएं हास्य से लेकर कटाक्ष और प्रेरणा से भरपूर होती थीं. हिमाचल से उनके लगाव की गवाही उनकी कविताएं भी देती हैं.

Atal Bihari Vajpayee
अटल बिहारी वाजपेयी

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Published : Dec 25, 2020, 1:10 PM IST

शिमला:देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की आज 96वीं जयंती है. आज अटल जी को याद किया जा रहा है. देशभर में उनकी याद में कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है.

हिमाचल से था विशेष लगाव

पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का हिमाचल से विशेष लगाव था. वो हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते थे और कुल्लू के प्रीणी गांव में अटल जी का घर भी है. जहां वो कई बार आते थे. वो कई बार हिमाचल के दौरे आए.

हिमाचल और अटल की कविताएं

अटल बिहारी वाजपेयी एक कवि भी थे. उनकी कविताओं में हर रस था जो किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता था. उनकी कविताएं हास्य से लेकर कटाक्ष और प्रेरणा से भरपूर होती थीं. हिमाचल से उनके लगाव की गवाही उनकी कविताएं भी देती हैं. उनकी कई कविताओं में हिमाचल का जिक्र होता था खासकर मनाली का.

जब हुआ अटल और मनाली का मिलन

अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दूसरे 'घर' हिमाचल में तीन बार कविता पाठ भी किया था. मनाली में माउंटनेयरिंग इंस्टीट्यूट में दो बार और एक दफा अन्य स्थान पर कवि सम्मेलन आयोजित किया गया था. जहां उनकी मनाली बुला रही है कविता पर वहां मौजूद कवि भी झूम उठे.

वीडियो.

न केवल प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दौरान बल्कि वीरभद्र सिंह सरकार के कार्यकाल में भी अटल जी के कवि सम्मेलन हुए. हिमाचल के राज्यपाल स्व. विष्णुकांत शास्त्री भी एक कवि सम्मेलन में मौजूद थे. 'मौत से ठन गई' कविता पाठ के दौरान अटल जी के साथ स्व. विष्णुकांत शास्त्री भी स्टेज पर थे.

मनाली में कवि सम्मेलन के दौरान हिमाचल के कई लेखकों ने अटल बिहारी वाजपेयी को अपनी पुस्तकें भेंट की थीं. उस दौरान मंच संचालन हिमाचल के वरिष्ठ लेखक और तब के भाषा विभाग के उप निदेशक सुदर्शन वशिष्ठ ने किया था.

वशिष्ठ उस समय को याद करते हुए कहते हैं कि अटल जी का व्यक्तित्क सम्मोहक था. उनका कविता पढ़ने का अंदाज प्रभावशाली रहता था. प्रधानमंत्री बनने के बाद आयोजित कवि सम्मलेन में अटल जी ने कहा था कि अब जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं तो कविता लिखना नहीं हो पाता. यह कवि सम्मेलन जून 2000 में हुआ था.

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