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सियासी खेल में कौन होगा पास, कौन फेल, 14वीं विधानसभा में इससे अलग होगी तस्वीर

शुक्रवार को जयराम सरकार के कार्यकाल के आखिरी विधानसभा सेशन के सेकेंड लास्ट डे पर सभी सदस्यों का सामूहिक चित्र लिया गया. विधानसभा की ये स्थापित परंपरा है कि आखिरी सत्र के समापन पर एक ही फ्रेम में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सभी 68 सदस्य कैमरे में कैद हो जाते हैं. इससे पहले 2017 में जो चित्र था, उस समय तस्वीर दूसरी थी. तब वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे और प्रेम कुमार धूमल नेता प्रतिपक्ष थे. पढ़ें पूरी खबर..

HP Vidhan Sabha members
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य

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Published : Aug 12, 2022, 9:53 PM IST

शिमला: परंपरा के अनुसार सत्तासीन सरकार के कार्यकाल के आखिरी विधानसभा सेशन में सभी सदस्य सामूहिक चित्र खिंचवाते हैं. शुक्रवार को जयराम सरकार के कार्यकाल के आखिरी विधानसभा सेशन (last session of Himachal Pradesh Legislative Assembly) के सेकेंड लास्ट डे पर सभी सदस्यों का सामूहिक चित्र लिया गया. विधानसभा की ये स्थापित परंपरा है कि आखिरी सत्र के समापन पर एक ही फ्रेम में विधानसभा के सभी 68 सदस्य कैमरे में कैद हो जाते हैं. सियासी गलियारों में ऐसी तस्वीरों का अपना ही स्थान है. ये तस्वीरें बताती हैं कि मौजूदा विधानसभा के सदस्यों में से अगली विधानसभा में न जाने कौन चुन कर आएगा और कौन नहीं. सियासत अजब खेल है. यहां अर्श से फर्श और फर्श से अर्श तक पहुंचने में बस ईवीएम खुलने और अंतिम वोट की गिनती तक का समय लगता है.

वर्तमान में भाजपा का बहुमत:मौजूदा विधानसभा में भाजपा का प्रचंड बहुमत है. जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री (CM Jairam Thakur) हैं और मुकेश अग्निहोत्री नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी (HP Vidhan Sabha members) पर हैं. जयराम सरकार में महेंद्र सिंह ठाकुर नंबर दो के पावरफुल कैबिनेट मंत्री हैं. इसके अलावा मंत्रियों में सुरेश भारद्वाज, वीरेंद्र कंवर, सरवीण चौधरी, गोविंद सिंह ठाकुर, राजीव सैजल, राकेश पठानिया, सुखराम चौधरी, राजेंद्र गर्ग का नाम है. मौजूदा विधानसभा में माकपा के एकमात्र विधायक राकेश सिंघा हैं.

2017 की तस्वीर में वीरभद्र सिंह थे सीएम: शुक्रवार को लिए गए चित्र में सभी सदस्य शामिल हैं. इससे पहले 2017 में जो चित्र था, उस समय तस्वीर दूसरी थी. तब वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे और प्रेम कुमार धूमल नेता प्रतिपक्ष थे. दस साल के इस अंतराल की कुछ रोचक बातों का जिक्र इस समय जरूरी है. वर्ष 2017 में वीरभद्र सिंह की सरकार का आखिरी सेशन था. नवंबर 2017 में चुनाव हुए तो कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. उस समय भाजपा व कांग्रेस में कई दिग्गज चुनाव हार गए थे.

जब प्रेम कुमार धूमल समेत ये नेता हारे थे चुनाव: चुनाव हारने वालों में सबसे बड़ा नाम प्रेम कुमार धूमल का था. इसके अलावा कांग्रेस सरकार के कई कैबिनेट मंत्रियों को शिकस्त का सामना करना पड़ा. इनमें कौल सिंह ठाकुर, जीएस बाली, ठाकुर सिंह भरमौरी, सुधीर शर्मा व प्रकाश चौधरी का नाम शामिल है. इसके अलावा कांग्रेस के महारथी गंगूराम मुसाफिर व चंद्र कुमार भी चुनाव हार गए थे. विद्या स्टोक्स को तो टिकट भी नहीं मिल पाया था. भाजपा के भी कई बड़े चेहरे चुनाव हारे. उनमें तत्कालीन पार्टी मुखिया सतपाल सिंह सत्ती, रणधीर शर्मा, गुलाब सिंह ठाकुर, महेश्वर सिंह का नाम शामिल था. अलबत्ता वीरभद्र सिंह अर्की से चुनाव जीत गए. पहली बार विधानसभा में पिता-पुत्र की जोड़ी के रूप में वीरभद्र सिंह व विक्रमादित्य सिंह विधानसभा में पहुंचे थे.

पहली बार विधानसभा पहुंचे युवा चेहरे: हिमाचल विधानसभा में विक्रमादित्य सिंह सहित अन्य युवा चेहरे पहली बार विधानसभा पहुंचे. युवा विधायकों में विशाल नैहरिया, रीना कश्यप उपचुनाव जीतने के बाद सदन में पहुंचे थे. वर्ष 2017 में जिन नेताओं ने पहली बार चुनाव जीता, उनमें सबसे चर्चित नाम जवाहर ठाकुर का रहा. वे लगातार कौल सिंह ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ते आए थे. पहली बार चुनावी जीत का स्वाद चखने वालों में बंजार से सुरेंद्र शौरी, घुमारवीं से राजेंद्र गर्ग, बिलासपुर से सुभाष ठाकुर, झंडूता से पूर्व आईएएस जेआर कटवाल, जोगिंदर नगर से प्रकाश राणा, सुंदरनगर से राकेश जम्वाल, बैजनाथ से मुल्कराज प्रेमी, पालमपुर से आशीष बुटेल, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, नगरोटा से अरुण कुमार कूका, भरमौर से जियालाल, चंबा से पवन नैय्यर, देहरा से होशियार सिंह, दून से परमजीत सिंह पम्मी, नालागढ़ से लखविंद्र राणा, इंदौरा से रीता धीमान व भोरंज से कमलेश कुमारी का नाम शामिल है.

अगली बार बदली हुई होगी तस्वीर:हिमाचल में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. दिसंबर के अंत तक नई सरकार का गठन संभावित है. अगली बार विधानसभा की तस्वीर इससे भिन्न होगी. सत्ता में कौन आएगा, इसका फैसला जनता करेगी. भाजपा मिशन रिपीट का दावा करने के साथ सियासी रिवाज बदलने की बात कर रही है. कांग्रेस भी सत्ता में वापसी का दावा कर रही है. सियासी खेल में कौन होगा पास और कौन फेल, इसका फैसला वोटर्स करेंगे.

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