शिमला:आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश के खजाने पर नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद और अधिक बोझ पड़ने वाला है. हिमाचल सरकार का मौजूदा वित्तीय वर्ष में बजट का आकार पहली बार 50 हजार करोड़ से अधिक हुआ है. जयराम सरकार ने 50 हजार 192 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था. उस बजट को आधार मानें तो हिमाचल में अधिकांश बजट का हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च होता है.
यदि नए वेतन आयोग की सिफारिशों से खजाने पर पड़ने वाले बोझ को फिलहाल एक तरफ रखें तो (Himachal State Debt status) हिमाचल में इस समय सरकारी कर्मियों के वेतन पर सौ रुपए में से 25.31 पैसे खर्च होते हैं. वहीं, पेंशनर्स की पेंशन अदायगी पर 100 रुपए में से 14.11 रुपए खर्च होते हैं. यदि इसमें नए वेतन आयोग की सिफारिशों को भी मिला दिया जाए तो यह खर्च कम से कम 52 पैसे और बढ़ जाएगा. मौजूदा समय में विकास के लिए 100 रुपए में से 43.94 पैसे ही बचते हैं. वेतन आयोग की सिफारिशें, पेंशनर्स की पेंशन, ब्याज की अदायगी और कर्ज की अदायगी को भी जोड़ दिया जाए तो विकास के लिए आने वाले समय में 100 रुपए में से सिर्फ 40 रुपए ही बचेंगे.
हिमाचल को पर्यटन सेक्टर मजबूत करने की जरूरत: हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि राज्य अपने बूते विकास के लिए संसाधन जुटा सके. हिमाचल की सरकारें केंद्रीय मदद और एक्सटर्नल एडेड प्रोडक्ट्स पर ही अधिकांश (Debt on Himachal government) रूप से निर्भर करती हैं. पूर्व आईएएस अधिकारी और हिमाचल सरकार में वित्त सचिव रह चुके केआर भारती का कहना है कि हिमाचल को पर्यटन सेक्टर को मजबूत करने की जरूरत है. इसके अलावा हिमाचल को अपने खर्च कम करने चाहिए. पूर्व में कांग्रेस सरकार के समय इस संदर्भ में एक कमेटी का गठन भी हुआ था. लेकिन उसकी सिफारिशें अमल में ही नहीं लाई गई.
केआर भारती का कहना है कि हिमाचल को कर्ज के जाल से निकलने के लिए एक बेल आउट पैकेज की जरूरत है. लेकिन इसमें कई अड़चनें हैं. यदि केंद्र सरकार हिमाचल को वन टाइम बेल आउट पैकेज देती है तो देश के अन्य पहाड़ी राज्य भी ऐसी मांग करेंगे. साथ ही बीमारू राज्य भी केंद्र पर दबाव बनाएंगे. भारती का कहना है कि हिमाचल को नए आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए प्रयास करना होगा. इसमें हाइड्रो पावर सेक्टर अहम भूमिका निभा सकता है.
हिमाचल पर करीब 62 हजार करोड़ के कर्ज:हिमाचल पर इस समय 62 हजार करोड़ के करीब कर्ज है. यह निरंतर बढ़ता जा रहा है. आगामी बजट 55 हजार करोड़ रुपए का आंकड़ा पार करेगा. चुनावी साल होने के कारण यह संभव है कि जयराम सरकार लोक लुभावन घोषणाएं करेंगें. फिर हिमाचल में सामाजिक सुरक्षा पेंशन का दायरा लगातार बढ़ रहा है. चार साल में ही पेंशन पर खर्च 1037 करोड़ रुपए सालाना हो गया है जो पहले 460 करोड़ रुपए के करीब था. इस तरह हिमाचल सरकार के समक्ष गंभीर आर्थिक संकट आ जाएगा. हिमाचल में सवा दो लाख के करीब कर्मचारी हैं और पौने दो लाख के करीब पेंशनर्स हैं.