शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रधान सचिव गृह, निदेशक होमगार्ड और कमान्डेंट होमगार्ड को अदालती आदेशों की अवमानना से जुड़े मामले में बरी कर दिया. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने तीनों प्रतिवादियों के खिलाफ अवमानना (case related to contempt of court orders) का आरोप न साबित होने पर अपने निर्णय में (Himachal Pradesh High Court) कहा कि अवमानना से जुड़े मामले में न्यायालय का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे ही व्यक्ति को दंडित करे जो न्याय के मार्ग में बाधा डालने का प्रयास करता है या न्यायपालिका को बदनाम करने का प्रयास करता है. इस शक्ति का प्रयोग आकस्मिक या हल्के ढंग से नहीं, बल्कि बड़ी सावधानी से करें.
क्या था मामला:मामले के अनुसार याचिकाकर्ता धनी राम ने आरोप लगाया था कि प्रतिवादियों (defendants) ने अदालती आदेशों की अवहेलना करते हुए उसे नौकरी से निकाल दिया है. जबकि अदालत का आदेश था कि उसे नौकरी पर बहाल किया जाए. प्रतिवादियों की ओर से अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता ने अदालत से जरूरी तथ्यों को छुपाते हुए अपने पक्ष में नौकरी बहाल करने बारे अंतरिम आदेश प्राप्त कर लिया, जबकि तथ्यों के अनुसार प्रतिवादियों ने अदालत के आदेशों की कोई अवहेलना नहीं की है.