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हिमाचल में सरकारी आवास की 'बंदरबांट' पर हाईकोर्ट सख्त, जीएडी सचिव अदालत में तलब

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Published : Dec 4, 2021, 8:09 PM IST

हिमाचल हाईकोर्ट ने नौकरशाही (Himachal High Court summoned Secretary) द्वारा कर्मचारियों को सरकारी आवास आबंटन में बंदरबांट करने पर कड़ी फटकार लगाई है. अदालत ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के जीएडी विभाग के सचिव को अदालत में तलब किया.

Himachal High Court summoned Secretary
हिमाचल हाईकोर्ट ने जीएडी सचिव को तलब किया

शिमला:हिमाचल हाईकोर्ट ने नौकरशाही (Himachal High Court summoned Secretary) द्वारा कर्मचारियों को सरकारी आवास आबंटन में बंदरबांट करने पर कड़ी फटकार लगाई है. अदालत ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के जीएडी विभाग के सचिव को अदालत में (Government residence allotment issue Himachal) तलब किया. प्रदेश सरकार में आयुर्वेद विभाग की अतिरक्त मुख्य सचिव की सिफारिश पर उनके चालक को सरकारी आवास आबंटित किया गया था. जबकि प्रार्थी सुमित शर्मा के आवेदन पर गौर नहीं फरमाया गया.

यह मामला शनिवार को न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान (Tarlok Chauhan HP High court) और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखा गया था.अदालत को बताया गया कि सुमित शर्मा ने आबंटित आवास को चेंज करने के लिए जीएडी विभाग के पास आवेदन मार्च 2021 में दिया था. जिस पर विभाग का (Secretary GAD department Himachal summoned) कहना है कि जिस आवास के आबंटन के लिए प्रार्थी ने आवेदन दिया है, वह अप्रैल 2022 में खाली होगा और इस पर अभी कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती.

वहीं, दूसरी ओर यही आवास चमन लाल नामक चालक को अगस्त 2021 में आबंटित कर कर दिया गया, क्यूंकि यह आवास पहले वाले कर्मी ने खाली कर दिया था. सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत ली गयी सूचना में यह जानकारी सामने आई कि उक्त चमन लाल को आवास आबंटित करते समय प्रार्थी के आवेदन को नजर अंदाज किया गया और आयुर्वेदा विभाग की अतिरक्त मुख्य सचिव के (Department of Ayurveda Himachal) आग्रह पर यह आवास आवंटित किया गया है.

प्रार्थी ने यह जानकारी अदालत के समक्ष अपनी याचिका के साथ संलगित की है. हाईकोर्ट ने इन दस्तावेजों को देखने के पश्चात मामले को गंभीरता से लिया और सचिव जीएडी को तलब किया और खुली अदालत में विभाग द्वारा आवास आबंटन पर सरकार द्वारा अपनाई जा रही भेदभाव पूर्ण नीति पर कड़ी टिप्पणी भी की. अदालत ने मामले की सुनवाई आगामी 8 दिसंबर को निर्धारित की और सरकार को अपना पक्ष रखने के आदेश दिए हैं.

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