शिमला: युग हत्याकांड में (yug murder case shimla) अब तीन दोषियों की फांसी की सजा मामले में हाईकोर्ट 6 हफ्ते बाद (Hearing in the Yug murder case) सुनवाई करेगा. सोमवार को हाईकोर्ट में ये मामला दोषियों की सजा-ए-मौत की के पुष्टिकरण के लिए लगा था. डबल बेंच में किसी कारण से सुनवाई (High court on Yug murder case) आज नहीं हो सकी. अब अंतिम सुनवाई 6 हफ्ते बाद (final hearing on confirmation of death sentence in Shimla Yug murder case) होगी.
पानी के टैंक में मिला था युग का कंकाल:जून 2014 में शिमला के राम बाजार के एक कारोबारी के चार साल के बच्चे का अपहरण कर लिया गया था. फिर करीब दो साल बाद अगस्त 2016 में शिमला के उपनगर भराड़ी के पेयजल टैंक से एक बच्चे का कंकाल मिला, बाद में फॉरेंसिक जांच से पुष्टि हुई कि यह मास्टर युग का ही कंकाल है. इस केस को सुलझाने के जिम्मा सीआईडी को दिया गया था. जांच एजेंसी ने डिजिटल एविडेंस जुटाए थे.
बाद में शिमला की स्थानीय अदालत में इन्हीं मजबूत और वैज्ञानिक साक्ष्यों के कारण दोषियों को सजा मिली. शिमला की स्थानीय अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह ने तीनों दोषियों तेजेंद्र पाल, विक्रांत बख्शी व चंद्र शर्मा को मौत की सजा सुनाई थी. अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर अपराध (rarest of rare crime in shimla) बताया था.
2014 में हुआ था युग का अपहरण:राम बाजार के रहने वाले चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पाल और विक्रांत बक्शी ने मिलकर जून 2014 में चार वर्षीय युग का अपहरण किया था. तीनों दरिंदे उसे लेकर शिमला के एक निजी मकान में तड़पाते रहे. दरिंदों ने मासूम बच्चे को शिमला के बैनमोर इलाके में किराये के भवन में यातनाएं देकर मार डाला था. मासूम बच्चे को अपहरण करने वाले कोल्ड ड्रिंक में शराब मिलाकर पिलाते रहे.
यातनाएं देने के साथ-साथ दरिंदे ट्रेसिंग पेपर पर फिरौती पत्र लिखते रहे. उन्होंने युग को छोड़ने के बदले चार करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी. पहले जांच पुलिस कर रही थी, लेकिन बाद में हत्याकांड की जांच सीआईडी को दी गई थी. हाईकोर्ट ने भी बराबर मामले पर (himachal pradesh high court on yug murder case) नजर रखी.
चोरी के मोबाइल से पुलिस को मिला था सुराग: युग उन्हें जानता था और वे चॉकलेट आदि के लालच में उसे अपने साथ ले गए थे. तीनों दरिंदे इतने शातिर थे कि दिन में परिवार के साथ सहानुभूति जताते हुए पुलिस के साथ युग को तलाशने का नाटक करते. वे इतने क्रूर हो गए थे कि उन्होंने युग को बेड बॉक्स में बंधक बनाकर रखा था. जब पुलिस नाकाम होने लगी, तो जनता के दबाव में जांच सीआईडी को दी गई थी. बाद में सीआईडी ने एक मोबाइल चोरी की घटना के सहारे जांच आगे बढ़ाई थी. अपने नशे के शौक को पूरा करने के लिए तीनों दोषी चोरियां भी करते थे.
उन्होंने न्यू शिमला में भी चोरी की थी. जांच एजेंसी ने उनसे फोन बरामद किए थे, जिन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया था. जांच में पूरा डाटा रिट्रीव होने के बाद पुलिस को बड़ा सुबूत हाथ लगा था. जांच में पता चला था कि वे लोगों बच्चे का वीडियो और ऑडियो बनाते थे, जो मोबाइल फोन में थे. सीआईडी की अदालत में दाखिल चार्जशीट के अनुसार इसी वीडियो ने जांच एजेंसी को दोषियों तक पहुंचाया था. इसके आधार पर जहां युग को अपहरण के दौरान कमरे में रखा गया था, वहां की तलाशी ली गई.
सीआईडी की एसआईटी के साथ फॉरेंसिक टीम भी उस दौरान मौजूद थी. वहां से ट्रेसिंग पेपर, अन्य पेपर, कोल्ड ड्रिंक और बैड बॉक्स में निशान पाए गए थे. बाद में पूरी जांच के आधार पर दोषियों की गिरफ्तारी हुई थी. 20 अगस्त 2016 को विक्रांत और 22 अगस्त को दो अन्य दोषियों को पकड़ा गया था. बाद में शिमला के भराड़ी स्थित पेयजल टैंक से कंकाल भी बरामद कर हुआ था. सीआईडी को चोरी के मोबाइल फोन से एक मिनट से कम समय की वीडियो क्लिप मिली थी. उसमें मासूम बच्चा पुकार रहा था कि उसे पापा के पास जाना है. मुझे पापा के पास ले जाओ. पापा...अंकल मुझे मार रहे हैं.
60 सेकेंड से भी कम के इस वीडियो क्लिप में युग रोता हुए यह कहता हुआ नजर आ रहा था. युग के अपहरण के बाद परिजनों को फिरौती के लिए पत्र भी लिखा गया था. दोषियों ने इस वीडियो को उन्हें नहीं भेजा था. उन्होंने यह वीडियो क्लिप युग के घर भेजने के लिए बनाई थी, लेकिन सर्विलांस में पकड़े जाने के डर से उन्होंने वीडियो को गुप्ता परिवार को नहीं भेजा था. बाद में उन्होंने यह क्लिप डिलीट कर दी थी, जिसे बाद में सीआईडी ने रीस्टोर कर लिया था.
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