शिमला: कोरोना वायरस के चलते पूरे प्रदेश में कर्फ्यू लगा हुआ है. जिसकी वजह से गरीब और मजदूरों को खाना नहीं मिल रहा है, ऐसे में गुरुद्वारा सिंह सभा ने इन जरूरतमंदों का हाथ थामा है. शुक्रवार को जहां गुरुद्वारा सिंह सभा ने कृष्णा नगर में गरीबों और जरूरतमंदों को खाना बांटा था. वहीं, शनिवार को गुरुद्वारा साहिब में लंगर लगा कर गरीबों को भी खाना बांटा. इस अवसर पर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज भी उपस्थित रहे और उन्होंने प्रवासी गरीब मजदूरों में खाने के पैकेट्स बांटे और उन्हें राशन भी उपलब्ध करवाया. अब जब तक हालात इस तरह के है तब तक प्रतिदिन सभा की ओर से लंगर लगाया जाएगा और जरूरतमंदों को खाना खिलाया जाएगा.
गुरुद्वारा सिंह सभा की ओर से की गई इस लंगर की व्यवस्था में कई गरीब प्रवासी मजदूरों को खाना मिल पाया. काफी संख्या में प्रवासी मजदूर यहां पहुंचे और उन्हें खाने के पैकेट्स के साथ ही राशन भी उपलब्ध करवाया गया. खाना लेने आए कई प्रवासी मजूदर तो ऐसे भी थे जिन्हें हफ्ते भर से इन हालातों के बीच खाना सही से खाने को नहीं मिल पा रहा था.
प्रवासी मजदूरों का कहना है कि वह यहां दिहाड़ी का काम करते है और जो पैसे मिलते थे उसी से खाने पीने का जुगाड़ करते थे लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ और कर्फ़्यू लगा तो उनका काम भी बंद है और उन्हें कहना खाने को भी नहीं मिल रहा था.
वहीं शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि लॉकडाउन की इस स्थिति में बिहार, झारखंड, उत्तराखंड और नेपाल सहित हिमाचल के कुछ लोग शिमला में ऐसे है जो दिहाड़ी लगाकर ही अपने लिए खाना जुटाते थे, लेकिन अब जब उनके पास काम नहीं है तो ऐसे में गुरुद्वारा सिंह सभा की ओर से इन प्रवासी मजदूरों के साथ ही जरूरतमंदों को पका हुआ खाना देने के साथ ही राशन में आटा दाल चावल भी दिया जा रहा है. इसके साथ ही सनातन धर्म सभा और सूद सभा इस कार्य में जुटी हुई है. यहां तक कि शिमला के कुछ एक लोग भी इस कार्य के लिए आगे आए हैं और वह भी अपने आसपास इस तरह के लोगों को ढूंढ कर उन्हें खाना मुहैया करवा रहे हैं.
गुरुद्वारा सिंह सभा के अध्यक्ष जसविंदर सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से उन्हें बीते शुक्रवार से लंगर बांटने की अनुमति मिली है जिसके चलते पिछले कल उन्होंने 200 के करीब लोगों को खाना मुहैया करवाया था. शुक्रवार को यह आंकड़ा 500 के करीब पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि पका हुआ खाना देने के साथ ही जितना संभव हो पा रहा है वह रॉ मेटेरियल भी और मजदूरों को उपलब्ध करवा रहे हैं. उन्हें प्रवासी मजदूरों की सूची एसडीम कार्यालय से भी मिली थी लेकिन उन्होंने कहा कि शिमला में कम से कम 1000 की गरीब जरूरतमंद और गरीब मजदूर ऐसे हैं जिन्हें कोरोना कि संकट की घड़ी में खाना खाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.