शिमला: राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar ) ने कहा कि भारत के संविधान में सामाजिक और भारतीय संस्कृति की अवधारणा निहित है. संविधान की प्रस्तावना (Preamble to the Constitution of India) में इसकी आत्मा वास करती है. यह प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि वे प्रस्तावना के आदर्शों को आत्मसात करने के लिए हर सम्भव प्रयास करें. राज्यपाल शुक्रवार को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में संविधान की भावना विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. इस संगोष्ठी का आयोजन भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस) के संयुक्त तत्वाधान में किया गया है.
राज्यपाल ने कार्यक्रम (National Seminar at IIAS Shimla) को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे संविधान की आत्मा इसकी प्रस्तावना में निहित है, जो संविधान की बुनियादी विशेषता के आधार पर राष्ट्र का मार्गदर्शन करती है. उन्होंने कहा कि इससे भी बढ़कर प्रस्तावना का मूल मानवता है, जिसमें केवल मानव की ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण जीव-जगत के कल्याण की भावना व्याप्त है. उन्होंने कहा कि शाब्दिक ज्ञान के साथ-साथ इससे जुड़े भाव को समझने की आवश्यकता है.
आईआईएस शिमला में राज्यपाल (Governor in iias shimla) ने कहा कि सह-अस्तित्व, लोकतंत्र और क्रम व्यवस्था जैसे भाव हमारे स्वभाव में निहित है और ग्रामीण स्तर पर कई स्थानों में आज भी एक प्रमुख व्यक्ति पूरे समुदाय का मार्गदर्शन करने की क्षमता रखता है. उन्होंने कहा कि धर्म की सही परिभाषा यह है कि हम दूसरों के साथ किस प्रकार का व्यवहार करते हैं. यह हमारे अस्तित्व की भावना है, जिसे हमें बनाए रखना है. उन्होंने संविधान दिवस की बधाई देते हुए कहा कि संविधान ने हमें न्याय और समानता के महान मूल्यों को साझा करने का अवसर दिया.
Constitution Day 2021: IIAS में राष्ट्रीय संगोष्ठी को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया संबोधित - आईआईएस शिमला में राज्यपाल
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला (Indian Institute of Advanced Study Shimla) में भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में संविधान की भावना विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित (governor address national seminar) करते हुए राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) ने कहा कि धर्म की सही परिभाषा यह है कि हम दूसरों के साथ किस प्रकार का व्यवहार करते हैं. यह हमारे अस्तित्व की भावना है, जिसे हमें बनाए रखना है.
आईआईएएस के अध्यक्ष कपिल कपूर ने कहा कि भारतीय समाज और परंपरा स्वशासन के सिद्धांत पर आधारित रही है और यही कारण है कि कई राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद हमारी संस्कृति और सभ्यता का अस्तित्व आज भी कायम है. उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन संस्कृति में 'पंच' को 'परमेश्वर' कहा जाता था. उन्होंने जिम्मेदार सरकार और स्वशासन के मध्य अंतर को विस्तारपूर्वक बताया. उन्होंने कहा कि हमारा समाज कर्तव्य परायण है और कर्तव्य सद्भावना पर आधारित अवधारणा है. हमारे समाज में त्याग करने वाले व्यक्ति का सम्मान किया जाता है.
सेमिनार में आईआईएएस के निदेशक (Director of IIAS attend seminar ) प्रोफेसर चमन लाल गुप्ता ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव समारोह (azadi ka amrit mahotsav in himachal) हम सभी के लिए गर्व और प्रसन्नता की बात है, लेकिन यह आकलन करने का भी समय है. उन्होंने कहा कि हमारी सांस्कृतिक भावना में बंधुत्व का भाव है और यह विरासत दुनिया को हमारे द्वारा मिली है.
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