शिमला:हिमाचल प्रदेश में अरबों की वन संपदा को अब फॉरेस्ट फायर (Forest Fire) का खतरा नहीं सताएगा. वन विभाग फॉरेस्ट फायर के मुख्य कारण पाइन नीडल्स (Pine Needles) यानी चीड़ की पत्तियों का प्रबंधन करेगा. वन विभाग की हेड डॉ. सविता (Dr. Savita, Head of Forest Department) ने बताया कि चीड़ की पत्तियों से ब्रिकेट्स (कोयले सरीखी ईंटें) तैयार करने के लिए सरकार की ओर से 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है. इसमें अधिकतम सब्सिडी 25 लाख तक मिलेगी.
इस योजना के तहत अभी तक कुल 38 आवेदन वन विभाग (Forest Department) के पास आए हैं. इनमें से 8 ने अपने सभी कागजात पूरे कर लिए हैं और 3 यूनिट के लिए सब्सिडी भी जारी हो गई है. 5 यूनिट के भी कुछ दिनों में सब्सिडी हो जाएगी, जिसके लिए इन्होंने काम भी शुरू कर दिया है. हैइन यूनिट्स में चीड़ की पत्तियों से ब्रिकेट्स तैयार किए जा रहे हैं. उन्हें सीमेंट उद्योग को वैकल्पिक फ्यूल के तौर पर बेचा जा रहा है. वन विभाग को इससे दोहरा फायदा होगा. पहला यह कि फॉरेस्ट फायर के लिए जिम्मेदार चीड़ की पत्तियां नुकसान नहीं कर पाएंगी और दूसरा यह कि वन विभाग को ब्रिकेट्स की बिक्री से कुछ आय हो जाएगी.
जंगलों से चीड़ की पत्तियां (Pine Leaves) इकट्ठा करने के काम में महिला मंडल, युवक मंडलों, पंचायती राज संस्थाओं व अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं को जोड़ा जाएगा. एक छोटी यूनिट को स्थापित करने के लिए कम से कम दस लाख रुपये का खर्च आएगा. चीड़ की पत्तियों व लैंटाना घास की झाड़ियों से ब्रिकेट्स तैयार होने से फॉरेस्ट फायर की घटनाओं में कमी आएगी. यही नहीं, इससे महिला मंडलों व पंचायती राज संस्थाओं को भी लाभ होगा. यह यूनिट्स उन स्थानों पर प्राथमिकता के आधार पर लगाई जा रही है, जहां चीड़ के वन अधिक हैं. जो लोग इन यूनिट्स की स्थापना के इच्छुक होंगे, उन्हें पूंजी लागत पर पचास फीसदी सब्सिडी मिलेगी. वन विभाग पाइन नीडल्स को इकट्ठा करने में सहयोग करेगा. इस काम में फॉरेस्ट फायर प्रोटेक्शन स्कीम फंड से पैसा उपलब्ध करवाया जाएगा.