शिमला: हिमाचल सरकार ने पहले ही बजट में सरकारी क्षेत्र में रेजिडेंशियल स्कूल यानी आवासीय विद्यालय शुरू करने का ऐलान किया था. योजना का नामकरण देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर किया गया था. पहले बजट में ऐसे 10 स्कूल और दूसरे बजट में 15 नए स्कूल घोषित किए गए थे. इनमें से केवल चार पर ही निर्माण का काम शुरू हो पाया है. यह जयराम ठाकुर सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है.
इस योजना के तहत बनने वाले अटल आदर्श आवासीय विद्यालयों में अनेक तरह की सुविधाएं दी जानी थी. अभी तक मंडी जिले में दो और सिरमौर और बिलासपुर में एक-एक स्कूल का निर्माण कार्य ही शुरू हो पाया है. इस योजना में सबसे बड़ा पेच भूमि अधिग्रहण और एफसीए (residential schools project in HP) को लेकर है. इन स्कूलों में आईसीटी लैब, जिम, स्वीमिंग पुल सहित अन्य कई सुविधाएं दी जानी हैं. इन स्कूलों में छात्रों के सर्वांगीण विकास की ओर ध्यान दिया जाना है. न केवल शिक्षा बल्कि खेल व वैज्ञानिक दृष्टिकोण की तरफ छात्रों का रुझान पैदा किया जाएगा.
इन स्कूलों में ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थी अपनी प्रतिभा निखार सकेंगे. पिछले साल (atal adarsh vidyalaya Scheme in Himachal) बजट सत्र में भाजपा के ही विधायक कर्नल इंद्र सिंह ने इस योजना के संबंध में सवाल किया था. सरकार के अनुसार 25 विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे स्कूल स्थापित करने को लेकर अधिसूचना जारी हो चुकी है. मंडी में धर्मपुर के समीप मढी और नाचन के गुडाहरी में काम शुरू कर दिया गया है. हर स्कूल को पांंच करोड़ रुपए की धनराशि दी गई हैं.
एक स्कूल मुख्यमंत्री के ही गृह जिले में सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र में खुलना है इसके लिए सरकारी विभाग की 19 बीघा जमीन ट्रांसफर की गई है. प्रदेश के सबसे बड़े जिले कांगड़ा में लंबागांव में भी ऐसा ही स्कूल खुलना है लेकिन उसकी अधिसूचना होने के बाद लैड ट्रांस्फर वाला मामला बहुत धीमा है. ऊना जिला में कुटलैहड़ में गेहरा में ऐसा ही स्कूल खुलना है.
वर्ष 2018 में जब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने योजना का ऐलान किया तब इसका नाम अटल आदर्श विद्या केंद्र था. बाद में इसका नाम बदलकर अटल आदर्श आवासीय विद्यालय किया गया. प्रारंभिक चरण में सरकार ने इसके लिए 25 करोड़ रुपए का बजट रखा. कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पहले ही बजट में शिक्षा के क्षेत्र में जो महत्वाकांक्षी घोषणा की गई, वह चार साल में चार कोस भी नहीं चल पाई.