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IGMC शिमला में पहली बार बिना चीर-फाड़ के हुआ आहार नली के कैंसर का सफल ऑपरेशन

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में पहली बार आहार नली के कैंसर का ऑपरेशन हाइटेक लेप्रोस्कोपिक तकनीक से बिना चीर-फाड़ ऑपरेशन किया गया है. 74 वर्षीय बुजुर्ग मरीज का इस तकनीक से सफल ऑपरेशन कर डॉक्टर्स की टीम ने जीवनदान दिया गया है. बड़े शहरों में इस ऑपरेशन पर चार से पांच लाख रुपए खर्च आता है, लेकिन आईजीएमसी में निःशुल्क सर्जरी की गई है.

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Published : Nov 9, 2021, 3:42 PM IST

Updated : Nov 9, 2021, 4:20 PM IST

शिमला:हिमाचल प्रदेश के उन मरीजों के लिए अच्छी खबर है जिन्हें फूड पाइप में कैंसर के ईलाज के लिए पीजीआई या अन्य बाहरी राज्य में जाना पड़ता था. अब आईजीएमसी में ही बिना चीड़ फाड़ के ही फूड पाइप के नली के कैंसर का ईलाज हो सकेगा. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में पहली बार आहार नली के कैंसर का ऑपरेशन हाइटेक लेप्रोस्कोपिक तकनीक से बिना चीर-फाड़ ऑपरेशन किया गया है.

74 वर्षीय बुजुर्ग मरीज का इस तकनीक से सफल ऑपरेशन कर डॉक्टर्स की टीम ने जीवनदान दिया गया है. सर्जरी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. डीके वर्मा ने बताया कि इस तकनीक से अभी तक हिमाचल के किसी भी अस्पताल में ऑपरेशन नहीं किया गया है. बड़े शहरों में इस ऑपरेशन पर चार से पांच लाख रुपए खर्च आता है, लेकिन आईजीएमसी में निःशुल्क सर्जरी की गई है.

डॉक्टर वर्मा का कहना है कि खाने-पीने में परेशानी हो रही हो तो मरीजों को लगता है कि एसिडिटी के कारण ऐसा हो रहा है. बार-बार मिचली आने को नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए. कई बार यह कैंसर का लक्षण हो सकता है. ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए. आहार नली के कैंसर का कारण तंबाखू व गुड़ाखू भी है. जिस महिला मरीज का ऑपरेशन किया गया, उनमें एक को गुड़ाखू करने की लत थी.

वहीं, दूसरी महिला इस तरह का नशा नहीं करती है. आहार नली के कैंसर का ऑपरेशन संभव है. वास्तव में मनुष्य के शरीर में स्थित आहार नली, मुंह से पेट तक भोजन ले जाने का काम करती है. जब यह नली कैंसर ग्रस्त हो जाती है तो उसे इसोफैगल कैंसर कहते हैं. गौरतलब है की इससे पहले यह ऑपरेशन हिमाचल में नहीं होता था.

खाने की नली का कैंसर जिसे एसोफैगल कैंसर के नाम से जाना जाता है. खाने की नली में इंफेक्शन अगर बार-बार होता है तो एसोफैगल कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. एसोफैगल कैंसर या खाने की नली का कैंसर ज्यादातर पुरुषों को होता है. काने की नली के कैंसर को आम बोल चाल की भाषा में गले का कैंसर भी कहा जाता है, लेकिन यह गले के कैंसर के बिल्कुल अलग होता है. खाने की नली का कैंसर ज्यादातर एशिया और अफ्रीका के देशों में होता है.

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Last Updated : Nov 9, 2021, 4:20 PM IST

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