शिमला: कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक में ऋण फर्जीवाड़े के आरोपी जनरल मैनेजर अशोक कुमार पुरी व ब्रांच मैनेजर कमल देव भोगल को हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई है.
न्यायाधीश अनूप चिटकारा ने आरोपियों को राहत देते हुए 13 अगस्त को मामले से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट तलब करने और दोनों अधिकारियों को जांच में पूरा सहयोग करने के आदेश दिए हैं.
केसीसीबी में बेनामी ऋण दिए जाने के इस मामले को लेकर विजिलेंस व एंटी करप्शन ब्यूरो ने बुधवार को 3 स्थानों पर एक साथ छापेमारी को अंजाम दिया था, जिसके बाद इन दोनों बैंक कर्मियों ने गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी.
दोनों बैंक अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने मिली भगत कर फर्जी तरीके से लगभग साढ़े 5 करोड़ रुपये के 3 ऋण जारी किए हैं. दोनों बैंक कर्मियों के खिलाफ 30 जुलाई को भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467 ,468 , 471 , 120 बी व भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (2)के तहत राज्य सतर्कता व एंटी करप्शन ब्यूरो पुलिस थाना ऊना में एफआईआर दर्ज की गई है.
गौर रहे कि विजिलेंस ब्यूरो ने बुधवार को ऊना में बैंक कर्मियों के घरों में छापेमारी कर कुछ जरूरी दस्तावेज जुटाए हैं. बैंक कर्मियों पर एक रियल एस्टेट कंपनी को 3.46 करोड़ का ऋण गलत तरीके से देने का आरोप है. बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक पीसी अकेला ने भी 62.72 करोड़ रुपयों के ऋण आबंटन में नियमों की अवहेलना का अंदेशा जताया है.