शिमला: कारोबारी समूह अडानी को अपफ्रंट प्रीमियम मनी के 280 करोड़ रुपए चुकाने के मामले (280 Crore Case In Shimla HC) में हाईकोर्ट में सुनवाई 2 नवंबर तक टल गई है. इस मामले में हाईकोर्ट (Himachal high court) की एकल पीठ ने राज्य सरकार को अपफ्रंट प्रीमियम की 280 करोड़ की रकम अडानी समूह को लौटाने के आदेश जारी किए हैं. राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश को डबल बैंच में चुनौती दी है. इस मामले में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ में सुनवाई हो रही है.
खंडपीठ ने अब 2 नवंबर के लिए सुनवाई टाली है. ये मामला किन्नौर जिला में जंगी-थोपन-पोवारी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से जुड़ा है. अडानी समूह ने इसके लिए 280 करोड़ रुपए की अपफ्रंट मनी जमा की थी. कुछ समय पहले हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार को आदेश जारी किए थे कि वो समूह को उक्त रकम वापिस करें. हाईकोर्ट ने एकल पीठ के आदेश पर तो रोक लगाने से इनकार किया है, लेकिन मामले की सुनवाई जारी है.
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इसी साल 12 अप्रैल को अपने फैसले में राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह 4 सितंबर 2015 को तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार द्वारा कैबिनेट में लिए गए निर्णय के अनुसार दो महीने की अवधि में उक्त राशि वापस करें. एकल पीठ ने यह आदेश अडानी पावर लिमिटेड की तरफ से दाखिल की गई याचिका पर पारित किये थे. सिंगल बैंच ने यह आदेश भी दिए थे कि यदि सरकार यह राशि दो माह के भीतर प्रार्थी कंपनी को वापिस करने में विफल रहती है तो उसे 9 फीसदी सालाना ब्याज सहित रकम चुकानी होगी.
एकल पीठ के 12 अप्रैल को पारित इस फैसले को सरकार ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने मामले पर सुनवाई के बाद सरकार के आवेदन को अपील के साथ लगाने के आदेश दिए। कंपनी ने विशेष सचिव (विद्युत) के 7 दिसंबर, 2017 को जारी पत्राचार को हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी थी. वहीं, 7 दिसंबर 2017 के पत्राचार को रद्द करते हुए एकल पीठ ने कहा था कि जब कैबिनेट ने 4 सितंबर 2015 को प्रशासनिक विभाग द्वारा तैयार किए गए विस्तृत कैबिनेट नोट पर ध्यान देने के बाद खुद ही यह राशि वापस करने का निर्णय लिया था तो अपने ही फैसले की समीक्षा करना अदालत की समझ से बाहर है.
राज्य सरकार का मानना है कि उसके पक्ष की विस्तार से सभी बिंदुओं पर सुनवाई होनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2005 में राज्य सरकार ने 980 मेगावाट की दो हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं जंगी-थोपन-पोवारी को लेकर टेंडर जारी किए थे. आरंभ में हालैंड की कंपनी ब्रेकल कारपोरेशन को परियोजनाओं के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाला पाया गया. बोली के बाद ब्रेकल कंपनी ने अपफ्रंट प्रीमियम के तौर पर 280.06 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार के पास जमा कर दी थी. हालांकि बाद में राज्य सरकार ने परियोजनाओं की फिर से बोली लगाने का फैसला किया.
इसके बाद विदेशी कंपनी ब्रेकल ने राज्य सरकार से पत्राचार के माध्यम से 24 अगस्त, 2013 अनुरोध किया था कि अडानी समूह के कंसोर्टियम पार्टनर होने के नाते 280.00 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम (Refund Of Grim Premium Amount To Adani) को अप टू डेट ब्याज के साथ उसे वापस किया जाए. अब मामला राज्य सरकार व अडानी समूह के बीच है. फिलहाल अगली सुनवाई अब 2 नवंबर को होगी.
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