हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / city

रैणी आपदाः एक साल बाद तपोवन टनल में मिला शव, आपदा के जख्म हुए ताजा - ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट

रैणी आपदा के करीब एक साल बाद SDRF की टीम को एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट की टनल से एक और शव बरामद हुआ है. शव की पहचान अजित सिंह हिमाचल प्रदेश के रूप में हुई है. पुलिस के मुताबिक मृतक एजीएम रित्विक कंपनी में टनल इंचार्ज के पद पर नियुक्त था.

dead body found in tapovan tunnel
फोटो.

By

Published : Jan 6, 2022, 7:13 AM IST

चमोली/पांवटा साहिब: 7 फरवरी 2021 को चमोली के रैणी गांव में आपदा की यादें एक बार फिर ताजा हो गई है. बुधवार को एक साल बाद जोशीमठ ब्लॉक के तपोवन स्थित एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट की टनल के अंदर से एसडीआरएफ की टीम ने एक और शव बरामद किया गया है. एसडीआरएफ ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए जोशीमठ भेजा है. शव की पहचान अजित सिंह ठाकुर ग्राम मिलनगो तहसील पांवटा साहिब हिमाचल प्रदेश के रूप में हुई है. पुलिस के मुताबिक मृतक एजीएम रित्विक कंपनी में टनल इंचार्ज के पद पर नियुक्त था और कंपनी के कर्मचारियों ने ही शव की शिनाख्त की है.

7 फरवरी 2021 को रैणी गांव में आई भीषण आपदा के बाद ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट में काम करने वाले कई कर्मचारियों और मजदूरों की सैलाब की चपेट में आने से मौत हो गई थी. सेना, ITBP, NDRF और SDRF के द्वारा टनल के अंदर रेस्क्यू चलाकर कई शवों को बरामद किया गया था. लेकिन अभी भी टनल के अंदर जैसे-जैसे मलबा साफ हो रहा है. वैसे वैसे मलबे के अंदर शव नजर आ रहे हैं.

अभी तक 204 लोगों की मौतः 7 फरवरी को चमोली के तपोवन क्षेत्र में रैणी गांव के पास ऋषिगंगा में आए जल सैलाब से भारी तबाही मची थी. जिसकी चपेट में आने से ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना और एनटीपीसी जल विद्युत परियोजना में कार्यरत 204 लोगों की मौत हो गई थी. अभी भी कई लोग लापता चल रहे हैं. इस तबाही का जख्म अभी भी नहीं भर पाया है. इसी के तहत करीब एक साल बाद 5 जनवरी 2022 को टनल के अंदर से एक और शव बरामद हुआ है.

चमोली हादसे की वजह: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) के वैज्ञानिकों ने जांच के बाद पाया कि करीब 5,600 मीटर की ऊंचाई से रौंथी पीक (Raunthi Peak) के नीचे रौंथी ग्लेशियर कैचमेंट में रॉक मास के साथ एक लटकता हुआ ग्लेशियर टूट गया था. बर्फ और चट्टान का यह टुकड़ा करीब 3 किलोमीटर का नीचे की ओर सफर तय कर करीब 3,600 मीटर की ऊंचाई पर रौंथी धारा तक पहुंच गया था, जो रौंथी ग्लेशियर के मुंह से करीब 1.6 किलोमीटर नीचे की ओर मौजूद है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में ओमीक्रोन का खतरा बढ़ा रहा चिंता, प्रदेश के अस्पतालों में किए गए विशेष इंतजाम

वैज्ञानिकों के अनुसार रौंथी कैचमेंट में साल 2015-2017 के बीच हिमस्खलन और मलबे के प्रवाह की घटना देखी गई. इन घटनाओं ने डाउनस्ट्रीम में कोई बड़ी आपदा नहीं की. लेकिन कैचमेंट में हुए बड़े बदलाव की वजह से रौंथी धारा के हिमनद क्षेत्र में ढीले मोरेनिक मलबे और तलछट के संचय का कारण बना.

लिहाजा, 7 फरवरी 2021 को बर्फ, ग्लेशियर, चट्टान के टुकड़े, मोरेनिक मलबे आदि चीजें एक साथ मिक्स हो गए, जो करीब 8.5 किमी रौंथी धारा की ओर नीचे आ गया और करीब 2,300 मीटर की ऊंचाई पर ऋषिगंगा नदी को अवरुद्ध कर दिया. जिससे एक पानी के झील का निर्माण हुआ.

ऋषिगंगा नदी से आई आपदा: रौंथी कैचमेंट से आए इस मलबे ने ऋषिगंगा नदी पर स्थित 13.2 मेगावाट क्षमता वाले हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट को तबाह कर दिया. इसके साथ ही रैणी गांव के पास ऋषिगंगा नदी पर नदी तल से करीब 70 मीटर ऊंचाई पर बना एक बड़ा पुल भी बह गया था, जिससे नदी के ऊपर के गांवों और सीमावर्ती क्षेत्रों में आपूर्ति बाधित हो गई और फिर यह मलबा आगे बढ़ते हुए तपोवन परियोजना को भी क्षतिग्रस्त कर गया.

तपोवन हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट धौलीगंगा नदी पर 520 मेगावाट क्षमता की परियोजना थी. चमोली आपदा के दौरान तपोवन एचईपी में करीब 20 मीटर और बैराज गेट्स के पास 12 मीटर ऊंचाई तक मलबा और बड़े-बड़े बोल्डर जमा हो गए थे. जिससे इस प्रोजेक्ट को भी काफी नुकसान पहुंचा था. इस आपदा ने न सिर्फ 204 लोगों की जान ले ली, बल्कि अपने रास्ते में आने वाले सभी बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया. आपदा में करीब 1,625 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था.

ये भी पढ़ें: Vultures in Himachal Pradesh: हिमाचल में सफल हो रहा गिद्ध बचाओ अभियान, सैटेलाइट टैगिंग से हो रही स्टडी

ABOUT THE AUTHOR

...view details