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जन्मदिन विशेष: छात्र राजनीति से सत्ता के शिखर तक सीएम जयराम ठाकुर का सफर - special stories on cm jairam birthday

आरएसएस के आंगन में पले-बढ़े जयराम ठाकुर ने 28 साल की उम्र में पहली बार चुनावी मैदान में उतरे लेकिन साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान महज 800 वोटों के अंतर से सराज विधानसभा से  चुनाव हार गए. ये हार जयराम ठाकुर के लिए जीत से कम नहीं थी क्योंकि इस चुनाव के बाद जयराम ठाकुर आलाकमान की नजरों में आ चुके थे. सीएम जयराम ठाकुर से जन्मदिन पर पढ़िए ये खास रिपोर्ट.

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सीएम जयराम ठाकुर.

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Published : Jan 6, 2020, 7:45 AM IST

Updated : Jan 6, 2020, 11:46 AM IST

मंडी: हिमाचल प्रदेश में सत्ता के शिखर पर पहुंचे जयराम ठाकुर का बचपन गरीबी में कटा है. जयराम ठाकुर का परिवार नहीं चाहता था कि वह राजनीति में जाएं, लेकिन जयराम ठाकुर ने अपने दम पर राजनीति बुलंदियों को छुआ है. लगातार पांच बार सराज विधानसभा से विधायक का बनने वाले जयराम ठाकुर हिमाचल प्रदेश के सीएम पद पर आसीन हैं.

राजनीति के सफर में उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा. पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने और लोकसभा के मंडी सीट से उपचुनाव पर जयराम ठाकुर हार का सामना भी कर चुके हैं, लेकिन उनका हौंसला कभी नहीं टूटा. लेकिन जयराम ठाकुर के शिखर तक पहुंचने का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगता.

जयराम ठाकुर.

मंडी जिला का सराज विधानसभा क्षेत्र को प्रकृति ने सुंदरता का अपार भंडार बख्शा है. इसी विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मुराहग के तांदी गांव में 6 जनवरी 1965 को जेठू राम और बृकु देवी के घर जय राम ठाकुर ने जन्म लिया था. उनका बचपन गरीबी में कटा. परिवार में 3 भाई और 2 बहने थी. पिता खेतीबाड़ी और मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे.

जयराम ठाकुर.

जय राम ठाकुर तीन भाईयों में सबसे छोटे हैं, इसलिए उनकी पढ़ाई-लिखाई में परिवार वालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी. जय राम ठाकुर ने कुराणी स्कूल से प्राइमरी करने के बाद बगस्याड़ स्कूल से उच्च शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद वह मंडी आए और यहां से बीए करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई पूरी की.

जयराम ठाकुर.

एबीवीपी के जरिए छात्र राजनीति में किया था प्रवेश
जय राम ठाकुर को पढ़ा चुके अध्यापक लालू राम बताते हैं कि जय राम ठाकुर बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे. अध्यापक भी यही सोचते थे कि जय राम ठाकुर किसी अच्छी पोस्ट पर जरूर जाएंगे. लेकिन अध्यापकों को यह मालूम नहीं था कि उनका स्टूडेंट प्रदेश की राजनीति का इतना चमकता सितारा बन जाएगा. जब जय राम ठाकुर वल्लभ कालेज मंडी से बीए की पढ़ाई कर रहे थे तो उन्होंने एबीवीपी के माध्यम से छात्र राजनीति में प्रवेश किया. यहीं से शुरूआत हुई जय राम ठाकुर के राजनीतिक जीवन की. जय राम ठाकुर ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा.

वीडियो रिपोर्ट.

साल 1993 में सराज विधानसभा से पहली लड़ा चुनाव
एबीवीपी के साथ-साथ संघ के साथ भी जुड़े और कार्य करते रहे. घर परिवार से दूर जम्मू-कश्मीर जाकर एबीवीपी का प्रचार किया और 1992 को वापस घर लौटे. आरएसएस के आंगन में पले-बढ़े जयराम ठाकुर को 28 साल की उम्र में पहली बार चुनावी मैदान में उतरे लेकिन साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान महज 800 वोटों के अंतर से सराज विधानसभा से चुनाव हार गए. लेकिन ये हार जयराम ठाकुर के लिए जीत से कम नहीं थी क्योंकि इस चुनाव के बाद जयराम ठाकुर आलाकमान की नज़रों में आ चुके थे.जब घरवालों को इस बात का पता चला तो उन्होंने इसका विरोध किया.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर. दाएं

जय राम ठाकुर के बड़े भाई बीरी सिंह बताते हैं कि परिवार के सदस्यों ने जय राम ठाकुर को राजनीति में न जाकर घर की खेतीबाड़ी संभालने की सलाह दी थी क्योंकि चुनाव लड़ने के लिए परिवार की आर्थिक स्थिति इजाजत नहीं दे रही थी. जयराम ठाकुर ने अपने दम पर राजनीति में डटे रहने का निर्णय लिया और विधानसभा का चुनाव लड़ा. यह चुनाव जय राम ठाकुर हार गए.

जयराम ठाकुर की बचपन की तस्वीर.

वर्ष 1998 में भाजपा ने फिर से जय राम ठाकुर को चुनावी रण में उतारा. इस बार जय राम ठाकुर ने जीत हासिल की और उसके बाद कभी विधानसभा चुनावों में हार का मुहं नहीं देखा. जय राम ठाकुर विधायक बनने के बाद भी अपनी सादगी से दूर नहीं हुए. जय राम ठाकुर ने विधायकी मिलने के बाद भी अपना वो पुश्तैनी कमरा नहीं छोड़ा जहां उन्होंने अपने कठिन दिन गुजारे थे. जय राम ठाकुर अपने पुश्तैनी घर में ही रहे. हालांकि अब जय राम ठाकुर ने एक आलीशान घर बना लिया है.

पीएम मोदी के साथ जयराम ठाकुर.

सीएम जयराम ने अपने पुश्तैनी मकान से की नए जीवन की शुरुआत
शादी के बाद भी जय राम ठाकुर ने अपने नए जीवन की शुरूआत पुश्तैनी घर से ही की. वर्ष 1995 में उन्होंने जयपुर की डॉ. साधना सिंह के साथ शादी की. जय राम ठाकुर की दो बेटियां हैं. आज अपने बेटे को इस मुकाम पर देखकर माता का दिल खुशी से फूले नहीं समाता है. जय राम ठाकुर के पिता जेठू राम का देहांत हो चुका है. जय राम ठाकुर की माता बृकु देवी ने बताया कि उन्होंने विपरित परिस्थितियों में अपने बच्चों की परवरिश की है.

सीएम के अलावा कई अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं जयराम ठाकुर
जय राम ठाकुर एक बार सराज मंडल भाजपा के अध्यक्ष, एक बार प्रदेशाध्यक्ष, राज्य खाद्य आपूति बोर्ड के उपाध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. जब जय राम ठाकुर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष थे तो भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई थी. जय राम ठाकुर ने उस दौरान सभी नेताओं पर अपनी जबरदस्त पकड़ बनाकर रखी थी और पार्टी को एकजुट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.

Last Updated : Jan 6, 2020, 11:46 AM IST

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