करसोग/मंडीः जिला के करसोग में भण्डारनु पंचायत के तहत आने वाले गांव में आज भी (धान की रुहणी) रोपाई बिना मजदूरी के एक दूसरे के सहयोग से की जाती है. गांव में जिस भी किसान के खेतों में धान की रोपाई होती है, वह व्यक्ति एक दिन पहले घर-घर जाकर लोगों को धान की रोपाई करने का संदेश देता है.
इसके बाद अगले दिन हर घर से एक-एक महिला या पुरुष सुबह धान की रोपाई के लिए खेतों में पहुंच जाते हैं. ऐसे में सभी लोग पूरा दिन आपसी भाईचारे की भावना के साथ धान की रोपाई करते हैं. इस दौरान काम करने के साथ-साथ लोकगीतों से एक दूसरे का भी खूब मनोरंजन किया जाता है.
यहीं, नहीं जिस व्यक्ति के खेतों में धान की रोपाई की होती है. उसके यहां घर पर धान की रोपाई में लगे लोगों के लिए धाम का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें करसोग की मशहूर धुली माह की दाल, राजमाह, मटर पनीर, खट्टी रोगी व मोठा आदि व्यंजन बनाए जाते हैं. इस धाम को भी स्थानीय लोगों के सहयोग से ही तैयार किया जाता हैं.