मंडी: गत वर्ष दिसंबर माह में विश्व की प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने पूरे विश्व के अपनी फील्ड में दक्षता हासिल करने वाले 10800 टॉप वैज्ञानिकों की सूची जारी की थी, जिसमें टॉप 2 फीसदी में IIT मंडी के तीन अन्य फैकल्टी के साथ तत्कालीन डीन भरत सिंह राजपुरोहित का भी नाम रहा. उन्हें विषय के अनुसार वर्ल्ड वाइड रैंकिंग में 3643 स्थान दिया गया. यूनिवर्सिटी द्वारा दी गयी सूची में इनका साइटेशन स्कोर 6647 और इनके द्वारा 134 पेपर पब्लिश्ड होना बताया गया था.
इसके अलावा यह दर्शाया गया कि पहला पेपर साल 1972 में पब्लिश्ड हुआ था. जब यह सूची जारी की गयी तो इसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ. जिन पेपर एवं साइटेशन स्कोर के जरिये इनको वर्ल्ड वाइड रैंकिंग में स्थान दिया गया और टॉप 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूचि में रखा गया उसमे बहुत बड़ी खामी देखने को मिली.
डॉ. भरत का जन्म IIT मंडी के रिकॉर्ड के अनुसार 1981 में हुआ था तो इनका पहला पेपर 1972 में कैसे पब्लिश्ड हो सकता था? जब यह मामला सामने आया तो भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों में IIT मंडी की किरकिरी हो गयी. IIT मंडी के ही पूर्व कर्मचारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत स्वामी ने इस पूरे मामले को लेकर शिक्षा मंत्रालय के पास दिसंबर 2020 माह में ही शिकायत दर्ज करवाई, जिसे मंत्रालय ने IIT मंडी के रजिस्ट्रार के पास निस्तारण के लिए भेज दिया.
सात महीने बाद जुलाई 2021 में रजिस्ट्रार केके बाजरे, IIT मंडी ने उक्त शिकायत का निस्तारण स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी को ही कठघरे में खड़ा किया, बाजरे ने निस्तारण में लिखा कि ''डॉ. भरत सिंह राजपुरोहित की रैंकिंग के लिए जो डाटा स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के द्वारा लिए गया, उसमे त्रुटि रही. इंस्टीट्यूट या फैकल्टी ने यह डाटा नहीं दिया, इसलिए उस त्रुटि के लिए डॉ. भरत और संस्थान जिम्मेदार नहीं है. आगे रजिस्ट्रार लिखते है "डॉ भरत के द्वारा किये गए पब्लिकेशन पब्लिक पोर्टल पर उपलब्ध है.''
सुजीत स्वामी का कहना है कि रजिस्ट्रार का विश्व की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के सर्वे पर सवाल उठाना और खुद के फैकल्टी की गलती को यूनिवर्सिटी पर मढ़ देना किसी भी लिहाज से सही नहीं है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने जो लिस्ट जारी की, वो फैकल्टी की गूगल स्कॉलर पर मौजूदा जानकारी के हिसाब से की. अपने गूगल स्कॉलर में जानकारी सही और अपडेटेड हो इसकी पूर्ण जिम्मेदारी खुद फैकल्टी की होती है.