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HPSEB इंप्लाइज यूनियन ने बिजली संशोधन विधेयक 2020 को काले दिवस के रूप में मनाया

एचपीएसईबी इंप्लाइज यूनियन ने बिजली संशोधन विधेयक 2020 को काले दिवस के रूप में मनाया. यूनियन का कहना है कि केंद्र सरकार कोविड-19 की आड़ लेकर बिजली संशोधन बिल 2020 के ड्राफ्ट बिल पर तीव्रता से कार्रवाई कर इसे पास करवाना चाहती है और बिजली कंपनियों के निजीकरण का रास्ता साफ करने जा रही है.

HPSEB employee union
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Published : Jun 1, 2020, 6:05 PM IST

मंडी/सुंदरनगरः जिला मंडी के सुंदरनगर बिजली बोर्ड के जनरेशन विंग के परिसर में एचपीएसईबी इंप्लाइज यूनियन ने बिजली संशोधन विधेयक 2020 को काले दिवस के रूप में मनाया. नेशनल आर्डिनेशन कमेटी ऑफ इंप्लाइज एंड इंजीनियर के आह्वान पर सभी कर्मचारियों और इंजीनियर्स ने काले बिल्ले लगाकर इस विधेयक का विरोध किया.

यूनियन के महामंत्री गजमेल सिंह ठाकुर ने कहा कि बिजली कानून 2003 में संशोधनों को लेकर केंद्र सरकार 2014 से लगातार कोशिश कर रही है, लेकिन अधिकतर राज्य सरकारों व बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं के विरोध के चलते अब तक लागू नहीं कर पाए.

अब जबकि पूरा देश कोरोना महामारी के कारण पूरी तरह से ग्रस्त है. इसके चलते केंद्रीय ऊर्जा मंत्री बिजली संशोधन विधेयक 2020 के रूप में पारित करने की जल्दी में है. इस महामारी के चलते सरकारी कार्यालय लॉकडाउन की वजह से आंशिक रूप से खुले हैं और पूरे देश में बिजली कर्मचारी बिजली बहाली के कार्यों को मुस्तैदी से निभा रहे हैं.

वीडियो.

लेकिन केंद्र सरकार कोविड-19 की महामारी की आड़ लेकर बिजली संशोधन बिल 2020 के ड्राफ्ट बिल पर तीव्रता से कार्रवाई कर इसे पास करवाना चाहती है और बिजली कंपनियों के निजीकरण का रास्ता साफ करने जा रही है.

गजमेल सिंह ठाकुर ने कहा कि बिजली बोर्ड के बने बनाए ढांचे को प्राइवेट हाथों में देने से जहां प्रदेश की जनता को महंगी दरों पर बिजली मिलेगी. वहीं, दूसरी ओर बिजली बोर्ड में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. बिजली वितरण प्रणाली के अगर निजी हाथों में दे दिया जाता है तो वर्तमान में जो ग्रामीण उपभोक्ताओं को क्रॉस सब्सिडी दी जा रही है, वे समाप्त हो जाएगी.

जिसके चलते घरेलू बिजली की दरों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हो जाएगी और बिजली आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाएगी. प्राइवेट कंपनियां शहरी क्षेत्र में बिजली वितरण के कार्य को लेने के इच्छुक होंगे, लेकिन दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्र में जहां बिजली आपूर्ति की लागत अधिक होगी, वहां कार्य करना पसंद नहीं करेंगे.

इस स्थिति में बिजली बोर्ड, जो सरकारी कंपनियों के रूप में काम कर रही होगी और उसे ग्रामीण क्षेत्र में बिजली वितरण व रखरखाव का काम करना होगा. यूनियन ने मांग करते हुए कहा कि बिजली सुधारों के नाम पर बिजली बोर्डों को बेचना बंद किया जाए.

उन्होंने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक 2020 बिजली बोर्ड के कार्यरत कर्मचारियों और पेंशनरों विरोधी होने के साथ-साथ बिजली उपभोक्ता विरोधी भी है. उन्होंने सरकार से मांग की कि बिजली बोर्ड और अन्य सरकारी विभागों की संपत्तियों को बेचने पंजीकरण करना बंद करें. अगर ऐसा नहीं किया गया तो कर्मचारी आने वाले समय में आंदोलन को आम जनता तक ले जाकर लड़ाई को तीव्रता के साथ लड़ेंगे.

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