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सुंदरनगर के धारली में वास करते हैं 'गुप्त अमरनाथ', जानिए इतिहास - शिव गुफा धारली

गुप्त अमरनाथ मंडी जिला के सुंदरनगर की धारली नामक स्थान पर एक गुफा के रूप में विराजमान है. यह गुफा मंडी जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर सुंदरनगर के धारली में मौजूद है.

Gupt Amarnath Mandi
गुप्त अमरनाथ

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Published : Jun 2, 2020, 12:45 PM IST

Updated : Jun 2, 2020, 5:36 PM IST

सुंदरनगर:हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है यहां के लोगों का देवी-देवताओं पर अटूट विश्वास है. इन देवी-देवताओं की अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार पूजा-अर्चना की जाती है. आप सभी ने जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ का नाम जरूर सुना होगा और दर्शन भी जरूर किए होंगे, लेकिन आज हम आपको जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश के गुप्त अमरनाथ के दर्शन करवाने जा रहे हैं.

यह गुप्त अमरनाथ मंडी जिला के सुंदरनगर की धारली नामक स्थान पर एक गुफा के रूप में विराजमान है. यह गुफा मंडी जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर सुंदरनगर के धारली में मौजूद है. ग्राम पंचायत जरल के गांव धारली की प्राचीन शिव गुफा में पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से जाया जा सकता है.

गुप्त अमरनाथ में शिवलिंग

यह गुफा अंदर से 40 फुट लंबी और लगभग 20 फुट ऊंची है. इस गुफा में एक समय पर लगभग 200 से अधिक लोग बैठ सकते हैं. वहीं, इस अद्भुत गुफा के अंत में अमरनाथ में बनने वाले शिवलिंग के सम्मान एक प्राकृतिक शिवलिंग मौजूद है.

पूजा अर्चना करते श्रद्धालु

इस गुफा में शिवलिंग के ऊपर एक जलधारा साल के छह महीने अभिषेक करती है. इस जलधारा को गंगा का स्वरूप ही माना गया है. वर्तमान में इसकी देखभाल शिव गुफा कमेटी धारली और स्वामी कुशलानंद सरस्वती महाराज करते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

प्राचीन परंपराओं की जानकारी देते हुए गुफा की देखभाल करने वाले सरस्वती महाराज ने कहा कि शिव गुफा धारली के अंदर विद्यमान शिवलिंग के दर्शन के लिए तीन द्वार हैं. इसमें पहला द्वार शिला के नीचे संकरा रास्ता है, जिसे अब बड़ा कर दिया गया है.

सरस्वती महाराज ने कहा कि इसके उपरांत अगले द्वार पर भगवान शंकर के गण मौजूद हैं और अगर किसी भक्त को काली ताकतों का प्रभाव हो वे इससे आगे गुफा में जा नहीं पाते हैं. वहीं, तीसरे और अंतिम द्वार पर भगवान शिव के परम भक्त प्राकृतिक नंदी मौजूद है. इस स्थान पर नंदी से आज्ञा लेकर शिवलिंग के दर्शन गर्भगृह में किए जाते हैं.

प्राचीन शिव गुफा धारली में शिव परिवार की मौजूदगी पाषाण रुप में मौजूद है. इसमें पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, योगनी और वाहन हैं. गुफा के ऊपर मौजूद पत्थर पूरी तरह से मृगशाला के तौर पर प्रतीत होती है. गुफा के अंदर से इसकी शुरुआत नहीं दिखाई देती है, लेकिन इसके चमत्कारिक गुण के कारण गुफा के बाहर से रोशनी आकर सीधा शिवलिंग पर ही पड़ती है.

मान्यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन करने से साक्षात अमरनाथ के दर्शन करने का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सरस्वती महाराज ने कहा कि इस गुफा को पहली बार वर्ष 1975 में पौड़ाकोठी निवासी धनी राम शर्मा ने ढूंढा था.

दरअसल, धनी राम को अपने स्वप्न में धारली शिव गुफा ऋषि मुनि आदि दिखाई देते थे. इसके साथ ही उनके घर पर परिवार के सदस्य बीमार होने लगे. वहीं, धनी राम के किसी जानकार ने बोला कि स्वप्न में दिखने वाली शिव गुफा में जाओ. धनी राम ने धारली के इस पर्वत पर इस गुफा को ढूंढा और वहां उन्हें पाषाण रूपी शिवलिंग के दर्शन हुए. इसके उपरांत धनी राम ने इस गुफा में शिव पुराण करवा कर परिवार को स्वास्थ्य लाभ मिला.

इसके ही साथ भक्तों का इस शिव गुफा में आने का सिलसिला शुरू हो गया जो आज तक निरंतर जारी है. सरस्वती महाराज ने कहा कि श्रावन मास और महा शिवरात्रि में इस गुफा का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है. महा शिवरात्रि के दिन इस गुफा में हजारों भक्तों का मेला लगता है. धारली शिव गुफा में महाशिवरात्रि के दिन दो बार एक बहुत लंबे सांप ने गुफा की परिक्रमा की.

शिव गुफा कमेटी धारली प्रधान गगन कुमार ने कहा कि यह सदियों पुरानी गुफा है. कमेटी का गठन लगभग 7 साल पहले हुआ था तब से यहां पर धीरे-धीरे विकास करवाया जा रहा है. गुफा तक लोग सड़क के माध्यम से पहुंचते हैं और हर वर्ष लाखों श्रद्धालु गुप्त अमरनाथ धारली के दर्शन करने आते हैं.

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Last Updated : Jun 2, 2020, 5:36 PM IST

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