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5 अक्टूबर से अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव, एक हजार जवान, 150 CCTV कैमरों से होगी चप्पे-चप्पे की निगरानी - meeting regarding International Kullu Dussehra

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव (International Kullu Dussehra Festival) दो साल के बाद इस बार धूमधाम से मनाया जाएगा. पांच से 11 अक्टूबर तक चलने वाले दशहरा उत्सव को लेकर प्रशासन की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गई है. उत्सव में किसी तरह की कोई अप्रिया घटना न घटे इसको लेकर इस बार जिला प्रशासन की ओर से विशेष रणनीति तैयार की जा रही है. इस बार एक हजार जवान और 150 सीसीटीवी कैमरों की मदद ली जाएगी. दशहरा उत्सव में इस बार 332 देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है.

International Kullu Dussehra Festival
5 अक्टूबर से मनाया जाएगा अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा

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Published : Sep 13, 2022, 4:01 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में होने वाले अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव (International Kullu Dussehra Festival ) के लिए जिला प्रशासन ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. वहीं, देवी-देवताओं को भी निमंत्रण भेजे गए हैं. इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से कुल्लू प्रशासन ने भी काम करना शुरू कर दिया है. इस उत्सव के दौरान शहर में 1000 जवान सुरक्षा की दृष्टि से तैनात रहेंगे. इसके अलावा 150 सीसीटीवी कैमरे की भी मदद ली जाएगी. इन कैमरों में कैद किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर पुलिस तुरंत कार्रवाई करेगी. ढालपुर मैदान में पहले से ही 100 सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए गए हैं. इस बार दशहरा उत्सव को लेकर 50 नए कैमरे लगाए जाएंगे. दशहरा उत्सव खत्म होने के बाद अस्थायी तौर पर फिट किए गए कैमरों को हटा दिया जाएगा.

5 अक्टूबर से दशहरा उत्सव का आयोजन: पांच से 11 अक्टूबर तक दशहरा उत्सव का आयोजन होगा. इसके अलावा दशहरा उत्सव की सुरक्षा का जिम्मा इस बार 1000 पुलिस जवानों को दशहरा उत्सव के लिए तैनात करने की योजना तैयार की जा रही है. इस बार 332 देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है. पिछले वर्ष 283 देवी देवताओं ने भाग लिया था और इस वर्ष आंकड़ा बढ़ने की उम्मीद है. देव रथों पर सजे सोने-चांदी के मोहरों, अन्य आभूषणों की सुरक्षा को लेकर पुलिस कर्मी लगातार गश्त करेंगे.

24 घंटे पुलिस के जवान रहेंगे तैनात: ढालपुर मैदान में जगह-जगह देवी व देवताओं के अस्थायी शिविरों के आसपास भी दिन और रात को पुलिस का पहरा रहेगा. इसके अलावा सरवरी, गांधीनगर की तरफ भी सीसीटीवी कैमरों के जरिए हर आने-जाने वाले वाहन और व्यक्ति सहित अन्य गतिविधियों पर नजर (meeting regarding International Kullu Dussehra) रहेगी. रामशीला, बजौरा चेकपोस्ट में हर आने जाने वालों की होगी जांच की जाएगी, ताकि दशहरा उत्सव में किसी प्रकार की अड़चन पैदा न हो. वहीं, अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव को देखते हुए पुलिस अधीक्षक गुरदेव शर्मा जल्द पुलिस के सभी अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. इसमें पूरी रूपरेखा तैयार की जाएगी. दशहरा उत्सव के शुरू होने से लेकर समापन तक योजना तैयार की जाएगी. लोगों को परेशानी ना हो इस पर भी कार्य किया जाएगा.

क्या कहते हैं एसपी कुल्लू: एसपी कुल्लू गुरदेव शर्मा (SP Kullu Gurdev Sharma on International Kullu Dussehra Festival ) ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव की तैयारियों को लेकर इस बार 50 अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है. इसके अलावा अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस दौरान किसी भी तरह की चूक न हो इसका पूरा खाका तैयार किया जाएगा.

हर हाल में निभाई जाती है कुल्लू दशहरा की अटूट परंपराएं:बता दें कि दशहरे से करीब एक महीने पहले से देवताओं को निमंत्रण भेजा जाता है. देवता आने की मंजूरी देते हैं और इसके बाद उन्हें पालकी से कुल्लू के ढालपुर मैदान में लाया जाता है. कुल्लू दशहरे के लिए 369 साल पहले राजा जगत सिंह ने देवताओं को बुलाने के लिए न्यौता देने की परंपरा शुरू की थी और यही परंपरा आज भी चली आ रही है. बिना न्यौते के देवता अपने मूल स्थान से कदम नहीं उठाते. वर्ष 1650 में तत्कालीन राजा जगत सिंह की ओर शुरू किया गया कुल्लू दशहरा कई परंपराओं और मान्यताओं को संजोए हुए हैं. 369 सालों से राजवंश और अब प्रशासन हर बार 300 के करीब घाटी के देवी-देवताओं को दशहरे का न्यौता देता आ रहा है. इस न्यौते के बिना देवता अपने मूल स्थान से कदम तक नहीं उठाते. भले ही कुल्लू के राजा जगत सिंह ने पंडित दुर्गादत्त की ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त होने के लिए अयोध्या से लाई भगवान रघुनाथ की मूर्तियों की पूजा के लिए दशहरा शुरू किया, लेकिन आज यह उत्सव देव-मानस मिलन के महाकुंभ में परिवर्तित हो गया है.

सदियों से पुराने अपने रास्तों से आते हैं देवी-देवता: कुल्लू दशहरा (International Kullu Dussehra) से दो सप्ताह पहले खराहल, ऊझी, बंजार, सैंज घाटी के देवता प्रस्थान करना शुरू कर देते हैं. कई देवता अपने देवलुओं-कारिंदों के साथ 200 किलोमीटर तक पैदल यात्रा के दौरान उफनती नदियों, जंगलों, पहाड़ों से होते हुए कुल्लू के ढालपुर पहुंचते हैं. देवता सदियों से पुराने अपने रास्तों से आते हैं. उनके विश्राम करने, रुकने, पानी पीने के लिए स्थान तय किये गए हैं. कड़ी धूप हो या तेज बारिश, किसी भी मौसम में देवताओं का आगमन नहीं रुकता.

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