हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / city

संयुक्त किसान मंच ने सरकार के खिलाफ निकाली रैली, सेब व अन्य उत्पादों के दाम घटने पर आक्रोश

सेब व अन्य उत्पादों के घटते दामों को लेकर संयुक्त किसान सभा ने कुल्लू में सरकार के खिलाफ रैली निकाली और जमकर नारेबाजी की. वहीं, इसी कड़ी में संयुक्त किसान सभा करसोग इकाई ने भी सोमवार को अपनी मांगों को लेकर धरना दिया और एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा. जिसमें किसानों ने सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किए जाने की अपनी मुख्य मांग रखी है.

By

Published : Sep 13, 2021, 3:07 PM IST

kisan-sabha-rally-in-karsog-and-kullu
डिजाइन फोटो.

मंडी/कुल्लू: सेब व अन्य उत्पादों के घटते दामों को लेकर संयुक्त किसान सभा ने कुल्लू में सरकार के खिलाफ रैली निकाली और जमकर नारेबाजी की. यह रैली रथ मैदान से लेकर उपायुक्त कार्यलय तक गई और यहां पर किसान नेताओं ने जनता को संबोधित किया. इस अवसर पर फलोत्पादक मंडल के अध्यक्ष प्रेम शर्मा ने कहा कि जब सरकार ने सारे अधिकार को बेचे हैं तब से किसानों के सेब व अन्य उत्पादों के दाम घट गए हैं. जो सेब 70 रुपये किलो बिकता था. वह अब आठ से 10 रुपये तक खरीदा जा रहा है.

उन्होंने कहा कि दवाइयों व खादों पर सब्सिडी खत्म कर दी और लेबर खर्चा भी बढ़ा है. जिस कारण से का लागत मूल्य बढ़ा लेकिन मार्किट में सेब पानी के भाव बिकने के कारण किसानों व बागबानों की कमर तोड़ दी है. वहीं, किसान नेता हौतम सोंखला ने कहा कि प्रदेश सरकार जहां किसान-बागवानों की आए दोगुनी करने की बात करती है वहीं, किसान-बागवानों के साथ छलावा किया जा रहा है. फलोत्पादक मंडल के अध्यक्ष प्रेम शर्मा का कहना है कि आज सेब पर जहां 20 रुपये लागत खर्चा है वहीं, मंडियों में सेब आठ रुपये किलो खरीदा जा रहा है. एपीएमसी कानून को सरकार लगी नहीं कर की है. किसानों को लूटा जा रहा है.

उन्होंने मांग की है कि सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू किया जाए. हिमाचल प्रदेश में भी कश्मीर की तर्ज पर मंडी मध्यस्थता योजना लागू की जाए. प्रदेश की विपणन मंडियों में एपीएमसी कानून लागू किया जाए. उन्होंने कहा कि 27 सितंबर को धरने प्रदर्शन के साथ प्रदेश भी भारत बंद के साथ जुड़ेगा.

इसी कड़ी में संयुक्त किसान सभा करसोग इकाई ने भी सोमवार को अपनी मांगों को लेकर धरना दिया और एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा. जिसमें किसानों ने सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किए जाने की अपनी मुख्य मांग रखी है. किसानों का कहना है कि मंडियों और कंपनियों को उपज बेचने पर उन्हें अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं. जिससे कृषि और बागवानी पर संकट छा गया है. मंडियों में उचित दाम न मिलने से किसानों को फसल तैयार करने पर आई लागत को निकालना भी मुश्किल हो गया है.

ऐसे में किसानों के लिए कृषि और बागवानी घाटे का सौदा साबित हो रही है. इसके अतिरिक्त किसानों और बागवानों ने मंडी मध्यस्थता योजना को पूर्ण रूप से लागू करने की मांग रखी है. जिसमें ए,बी,सी ग्रेड सेब की खरीद 60, 44 व 24 रुपये के हिसाब से किए जाने की मांग की गई है.

किसानों ने कहा है कि प्रदेश की विपणन मंडियों में एपीएमसी कानून को सख्ती से लागू किया जाए. आढ़तियों और खरीददारों के पास बकाया पैसे का भी तुरंत भुगतान किया जाए. सेब सहित फलों, फूलों व सब्जियों की पैकिंग में इस्तेमाल किए जा रहे कार्टन और ट्रे की कीमतें कम की जाएं.

मंडियों में सेब व अन्य फसलों को वजन के हिसाब से बेचा जाए. खाद, बीज, कीटनाशकों व अन्य लागत वस्तुओं पर सब्सिडी को बहाल किया जाए. इसके अतिरिक्त किसानों व बगवानों ने उपकरणों की बकाया सब्सिडी के भुगतान किए जाने की मांग की है.

किसान नेता किशोरी लाल का कहना है कि मंडियों और कंपनियों को उत्पाद बेचने पर किसानों और बगवानों को उचित दाम नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा करसोग इकाई ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ज्ञापन सौंपा है. जिसमें मुख्यमंत्री से कृषि और बागवानी के क्षेत्रों की बचाने की मांग की गई है.

ये भी पढ़ें-शिमला: पलक झपकते ही ढह गई दीवार, आवाजाही के लिए बंद हुई मेहली-शोघी सड़क

ABOUT THE AUTHOR

...view details