कुल्लू/मनाली: खड्डी में (हस्तकरघा उपकरण) महिलाओं को जहां आत्मनिर्भर एवं स्वाबलंबी बनाने की क्षमता है, (Khaddi handloom tool Himachal) वहीं परिवार की आजीविका चलाने का साधन भी है. यह बात शिक्षा व कला, भाषा एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने मनाली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत जगतसुख में जिला उद्योग केंद्र द्वारा महिलाओं को हथकरघा संवर्धन एवं हस्तशिल्प समेकित प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत निःशुल्क खड्डी वितरण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए (Govind Thakur in Manali) कही.
गोविंद ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण के लिये प्रतिबद्ध है और अनेकों योजनाएं महिलाओं के लिये कार्यान्वित की गई हैं. उन्होंने कहा कि खड्डी आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. खड्डी का हमारी समृद्ध संस्कृति से संबंध है. उन्होंने कहा कि कताई, बुनाई व कढ़ाई जैसे छोटे कार्यों का बहुत बड़ा (Govind Thakur in Jagatsukh) महत्व है.
ग्रामीण महिलाएं शॉल, टोपी, पट्टू मफलर व ऊनी कपड़े तैयार करती हैं और ठण्डे क्षेत्रों में इनका महत्व और भी अधिक है. इससे न केवल परिवार के लिये कपड़ों की पूर्ति करती हैं, बल्कि आजीविका का साधन भी जुटाती हैं. (Handicrafts of Himachal) उन्होंने कहा कि गांव में महिला के हाथ से बनाई गई शॉल आज देशभर में मशहूर है. इसे जीआई टैग प्राप्त है और प्रदेश सरकार ने यहां के हस्तशिल्प की एक एप तैयार की है. शॉल, टोपी, स्टॉल, मफलर इत्यादि को अब एमाजोन तथा फ्लिप कार्ट के माध्यम से बेचने की सुविधा मिली है.
उन्होंने कहा कि जिला की महिलाएं आज खड्डियों में आधुनिक वस्त्र तैयार कर रही हैं, जिनमें कुल्लवी साड़ी, स्कार्फ इत्यादि शामिल हैं. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हमें आधुनिकता के दौर में हस्तशिल्प की पुरानी शैली का भी संवर्धन करना है. भावी पीढ़ियों को भी इस कला को जीवित रखने की (Govind Thakur distributed Khaddi) जरूरत है.