कुल्लू: हिमाचल की वन संपदा प्रकृति का वो अनमोल तोहफा है जिसे करीब से देखने और यहां रहने की चाह लिए लोग खींचे चले आते हैं. ये दुर्भाग्य ही रहा है कि इस अनमोल खजाने का सही इस्तेमाल करके राज्य सरकार कभी अपने खजाने को नहीं भर पाई.
लेकिन इस अनमोल खजाने को बचाने के लिए जिला कुल्लू के जीभी गांव के रहने वाले भगवान सिंह राणा ने एक कवायद शुरू की जिन्होंने पहले तो जीजान से देश की सेवा की और अब उम्र के अपने ढलते पड़ाव में पर्यावरण को बचाने में जुट गए हैं. दरअसल साल 1992 में सेना की नौकरी छोड़ने के बाद जब भगवान सिंह राणा वापस अपने गांव जीभी आए तो यहां की सुंदरता को पूरी दुनिया में उभारने के लिए उन्होंने इको टूरिज्म की शुरुआत की.
हालांकि उनकी इस कोशिश को देखकर पहले गांव के लोग उन्हें पागल समझते थे, लेकिन धीरे-धीरे जब जीभी गांव के सौंदर्य को देखने के लिए टूरिस्ट यहां पहुंचने लगे और यहां के लोगों के लिए रोजगार के दरवाजे खुले तो लोगों ने भी उनका सहयोग देना शुरू कर दिया.