कुल्लू: महिला एवं बाल विकास विभाग से संबंधित चार जिला स्तरीय समितियों की बैठक का आयोजन जिला परिषद हॉल में किया गया. इस दौरान उपायुक्त डॉ. ऋचा वर्मा ने बच्चों और महिलाओं से संबंधित विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की. पोषण अभियान की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों, किशोरियों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं में कुपोषण की समस्या को दूर करना है.
उपायुक्त डॉ. ऋचा वर्मा ने उन्होंने कहा कि कुल्लू जिला में पांच साल तक के कुल 27 हजार 486 बच्चों में से 259 बच्चे आंशिक रूप से कुपोषित पाए गए हैं, इन में से किन्हीं कारणों से 12 बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं. उपायुक्त ने आईसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को गंभीर या आंशिक रूप से कुपोषित बच्चों के सही पोषण पर विशेष रूप से फोकस करने के निर्देश दिए.
डॉ. ऋचा ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में अनीमिया के कारणों का पता लगाने और लोगों की रक्त जांच के लिए व्यापक मुहिम चलाई जाएगी. लोगों को संतुलित आहार के प्रति जागरुक करने के लिए विशेषज्ञों की मदद से एक डाइट चार्ट तैयार किया जाएगा, जिसमें कुल्लू जिला के पारंपरिक व्यंजनों को भी शामिल किया जाएगा.
उपायुक्त ने कहा कि गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के सही पोषण के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत महिला को गर्भाधारण से लेकर शिशु के टीकाकरण तक तीन किश्तों में 5000 रुपये की राशि दी जाती है. कुल्लू जिला में अभी तक इस योजना के माध्यम से लगभग 5 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं.
204 पंचायतों में स्थापित किए जाएंगे सशक्त महिला केंद्र
जिला में कुल 1095 आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से छह साल तक की आयु के बच्चों को पूरक पोषाहार दिया जा रहा है. इसके वितरण में किसी भी तरह की कोताही नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रत्येक बाल विकास परियोजना में अपने भवनों में संचालित किए जा रहे पांच-पांच आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा. उपायुक्त ने कहा कि जिला की सभी 204 पंचायतों में सशक्त महिला केंद्र स्थापित किए गए हैं. इन केंद्रों के माध्यम से महिलाओं को संगठित करके उन्हें सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के प्रति जागरुक किया जा रहा है.
बेसहारा बच्चों को दें बाल-बालिका सुरक्षा योजना का लाभ
उपायुक्त ने कहा कि विषम परिस्थितियों में रह रहे बच्चों, बेसहारा एवं अनाथ बच्चों के अधिकारों की रक्षा एवं कल्याण के लिए भी सरकार ने महत्वपूर्ण योजनाएं आरंभ की है. उन्होंने कहा कि अनाथ या किन्हीं कारणों से माता-पिता द्वारा छोड़े गए बच्चों के पालन-पोषण के लिए प्रतिमाह 2300 रुपये की धनराशि दी जाती है. इस योजना का लाभ पात्र बच्चों तक पहुंचना चाहिए. उपायुक्त ने जिला स्तरीय समिति को इस तरह के मामलों को प्राथमिकता के आधार स्वीकृत करने के निर्देश दिए.
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