हमीरपुर: 7 लोगों की मौत के बाद जागी हिमाचल पुलिस की प्रदेश भर में शराब माफिया पर की गई कार्रवाई कोई संशय नहीं है. सवाल महज इतना क्या इस शराब माफिया पर कार्रवाई के लिए 7 परिवारों के चिराग बुझना जरूरी थे? यह शराब घने जंगलों और बीहड़ों में तैयार नहीं हो रही थी बल्कि (Mandi Poisonous Liquor case) जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर एनआईटी हमीरपुर से सटे एक गांव के छोर पर बने तीन मंजिला मकान में तैयार की जा रही थी.
सरकारी तंत्र, विभाग और स्थानीय लोग सब बेखबर:जानलेवा शराब तैयार करने वाले इन ठिकानों तक पहुंचने के लिए पुलिस को महज 72 घंटे लगे तो क्या इंतजार उस घटना का था जिसे अब सरकारी भाषा में शराब त्रासदी का नाम दिया जा रहा है. सरकारी और पुलिस प्रेस नोट में इसे शराब त्रासदी कहा जा रहा है लेकिन त्रासदी शब्द का इस्तेमाल कहां तक जायज है. त्रासदी प्राकृतिक होती है न की सुरक्षा एजेंसियों और सरकारी तंत्र की चूक. यह अलग बात है कि प्रदेश पुलिस के डीजीपी इसे इंटेलिजेंस फेलियर मानने को तैयार नहीं है.
ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर अवैध शराब की फैक्ट्री में तथ्यों को जांचा और स्थानीय लोगों से भी बातचीत की. महज 8 मिनट के सफर में हमीरपुर जिला मुख्यालय से ईटीवी भारत की टीम 4 किलोमीटर दूर अवैध शराब फैक्ट्री तक पहुंच गई. मसला महज जिला मुख्यालय और एसपी के सरकारी आवास से अवैध फैक्ट्री की दूरी नहीं है बल्कि यह है कि जो कार्य पुलिस ने महज 72 घंटे में कर दिया वह इससे पहले क्यों नहीं हुआ. क्या पुलिस और सरकार के पास जवाब है कि यह अवैध शराब कब से यहां पर तैयार की जा रही थी?
ईटीवी भारत की टीम ने मौके पर मौजूद स्थानीय पूर्व सैनिक से बातचीत की जो कि यहां पर बकरियां चरा रहे थे. पूर्व सैनिक ने कहा कि हर दिन वह इस मोड़ से गुजरते हैं और बकरियां चराने के लिए आते हैं. उन्होंने कभी इस मकान के बाहर (Poisonous liquor case mandi) हलचल नहीं देखी. जिस दिन 21 जनवरी को पुलिस ने यह कार्रवाई की उस दिन जरूर 3:00 बजे जब घर लौट रहे थे तो 2 गाड़ियां बाहर खड़ी थी.
इसके बाद अगले दिन ही उन्हें घटना की पूरी जानकारी मिली. स्पष्ट है कि शराब माफिया कितनी सफाई और चालाकी से सावधानी के साथ इस कार्य को कर रहा था कि स्थानीय लोगों को भी इसकी जरा भी भनक नहीं थी. सरकारी तंत्र पूरी तरह से बेखबर था. सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस को भी इसकी कोई खबर नहीं है.
हाईटेक थी हिमाचल पुलिस के डीजीपी संजय कुंडू की प्रेस वार्ता:प्रदेश पुलिस के डीजीपी संजय कुंडू एसआईटी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. हाईटेक तरीके से शनिवार को हुई प्रेस वार्ता कर डीजीपी ने महज 72 घंटे के भीतर नकली शराब बनाने वाली मुख्य सरगना को पकड़ने तथा अवैध फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ करने का दावा किया. हाईटेक प्रेस वार्ता में कई पुलिस अफसरों को प्रदेश भर की कई जगहों से लाइव जोड़ा गया था.
बरामद किए गए अवैध शराब और अन्य शराब बनाने की सामग्री और मशीनरी को भी लाइव दिखाया गया. प्रेस वार्ता तो तकनीकी तौर पर हाईटेक थी लेकिन इस प्रेस वार्ता के बाद कई सवालों के जवाब नहीं मिल पाए हैं. यहां गौर करने वाली बात है की डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि अवैध शराब के बॉटलिंग प्लांट में गलत मिक्सिंग के कारण अथवा घटिया क्वालिटी का रॉ मैटेरियल इस्तेमाल करने से शराब जहरीली हुई जिसको पी कर लोगों की मौत हुई है.