हमीरपुरः हाथरस की घटना ने जहां पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है वहीं, हिमाचल के हमीरपुर जिला में एक लाचार पिता को अपनी बेटी छह महीने बाद कंकाल के रूप में मिली. यह कंकाल हासिल करने में भी एक पिता को गृह मंत्री तक को पत्र लिखना पड़ा. घटना हमीरपुर जिला के शेर बलोनी पंचायत की है. यहां एक युवती का कत्ल कर नाले में दफना दिया गया, लेकिन पुलिस केस को महज एक मिसिंग रिपोर्ट मानकर करीब 6 महीनों तक जांच करती रही.
मामले में परिजनों ने पहले ही साथ लगते गांव के युवक पर शक जाहिर किया था. इसके बावजूद कार्रवाई में देरी की गई. यहां तक की लड़की के पिता ने डीसी और एसपी कार्यालय के कई बार चक्कर काटे, लेकिन उन्हें हर बार आश्वासन ही मिले. थक हार कर आखिर गृह मंत्री को इस मामले में पत्र लिखकर लाचार पिता ने न्याय की गुहार लगाई तब कहीं जाकर बेटी का कंकाल बरामद हुआ.
मृतिका के पिता का कहना है कि वह डीसी और एसपी कार्यालय में भी गए थे. इसके अलावा उन्होंने गृह मंत्री को पत्र लिखा तब कहीं जाकर मामले में कार्रवाई हुई. अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या अगर पुलिस मामले की संजीदगी को समझते हुए गंभीरता से जांच करती तो क्या इस बेटी की जान बच सकती थी. अब अगर 6 महीने बाद परिजनों को कलेजे का टुकड़ा कंकाल के रूप में मिला है तो इसके लिए दोषी कौन है. अभी तक पुलिस की जांच भी कई पहलुओं में उल्झी हुई है.
उधर, जांच में देरी के सवाल पर पुलिस अधीक्षक हमीरपुर का कहना है कि परिजनों ने जब उनसे मुलाकात की तो उन्होंने संबंधित थाना प्रभारी को त्वरित कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. इसके बाद इस मामले में पुलिस को सफलता हाथ लगी है.