कांगड़ा:Palampur rally Controversy: पालमपुर में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए एक नई नवेली संस्था ने पालमपुर के बाजार में एक रैली निकाली, लेकिन रैली अपनी आंखों के सामने ही नई नवेली रैली हो गई, क्योंकि यहां मर्दों ने औरतों का पहनावा पहनकर पालमपुर के बीच बीच रैली निकाली.
इस रैली की खबर सिर्फ और सिर्फ पालमपुर के एसडीएम तक सीमित थी. वहीं, पालमपुर के लोगों ने यही कहा कि इस तरह की रैलियां महिलाओं को न्याय नहीं दिलावाएंगी, बल्कि उनको भड़काने का काम करेंगी, क्योंकि जिस तरह से इन पुरुषों ने महिलाओं के वस्त्र धारण किए और बाजार में रैली निकाली यह रैली का औचित्य नहीं था. कहीं न कहीं महिलाओं को रास्ते से भटकाया गया है.
पूरे मामले को जब प्रशासन से जानना चाहा तो प्रशासन के पास मात्र एक मांग पत्र था. जिसमें लिखा हुआ था कि हम बाजार में रैली निकालेंगे. इसके इलावा प्रशासन के पास न तो इन रैली निकालने वालों को कोई कांटेक्ट नंबर था और न ही कोई जानकारी थी. इस रैली के निकलने से पालमपुर के व्यापारियों में भी अच्छा खासा रोष देखा गया. पालमपुर बाजार के बाशिंदों का कहना है इस तरह की रैलियां पालमपुर की भूमि को शर्मसार कर रही हैं और इन सभी रैली निकालने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाए.
अगर महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं तो पुरुषों ने महिलाओं के वस्त्र धारण करके यह रैली क्यों निकाली है सबसे बड़ा यह सवाल प्रशासन पर खड़ा होता है. अगर उन्होंने परमिशन मांग ली थी तो उस परमिशन की जांच क्यों नहीं की गई, जबकि एसडीएम अमित गुलेरिया ने बात करते हुए कहा है कि 15 लोगों ने पालमपुर में रैली निकालने की बात कही थी. जिसमें कहा गया था कि महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ हम पालमपुर बाजार में एक रैली निकाल रहे हैं. ऐसे में एसडीएम को क्या पता नहीं था कि रैली निकालने वाली संस्था कौन सी संस्था है. यदि पता नहीं था तो इसकी जांच क्यों नहीं की गई.
संस्था ने जब रैली निकाल दी उसके बाद पता चला कि उसमें 15 से 20 लोग शामिल थे. इन लोगों ने जो पुरुष के बीच में चल रहे थे महिलाओं के वस्त्र धारण किए थे और साथ ही साथ कुछ महिलाएं भी शामिल थी. वीडियो बनाने वाले ने गाड़ी के अंदर बैठकर ही वीडियो बनाया है और जब प्रशासन को को इसकी भनक नहीं थी तो गाड़ी में बैठे वीडियो बनाने वाले को क्या पता था रैली किस माध्यम के लिए निकाली गई है, क्योंकि यह रैली सिर्फ और सिर्फ महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ थी, लेकिन बात यह है कि पुरुषों के भेष में महिलाओं के कपड़े पहनना और बीच बाजार में रैली निकालना क्या महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रोक पाएगा.
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