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भरमौर में अनुसूचित जाति के लोगों को पंचायत चुनाव लड़ने का मिले अधिकार, लोगों ने DC को सौंपा ज्ञापन

राकेश जरयाल ने कहा कि पंचायत प्रधान चुनाव में एससी का कोई भी सदस्य प्रधान का चुनाव नहीं लड़ सकता है. उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्र में जब भी कोई योजना आती है तो समुदाय के लोगों को कोई फायदा नहीं होता है. चूंकि, उस समय इस समुदाय से जनजाति का प्रमाण पत्र मांगा जाता है.

Scheduled Castes submitted memorandum to DC  regarding demands in chamba
भरमौर में अनुसूचित जाति के लोगों को पंचायत चुनाव लड़ने का मिले अधिकार

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Published : Jul 9, 2020, 1:01 PM IST

चंबा: जिला के कबायली क्षेत्र भरमौर में साल 2005 के बाद से 29 पंचायतों में एक भी प्रधान अनुसूचित जाति समुदाय से नहीं आया है, जोकि समुदाय की बात रख सके. अनुसूचित जाति समुदाय भरमौर के लोगों ने जनजाति क्षेत्र की समस्याओं को लेकर उपायुक्त चंबा विवेक भाटिया को ज्ञापन सौंपा.

प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को बताया कि जनजातीय क्षेत्र भरमौर का जनजीवन बरसात व सर्दियों के दौरान काफी मुश्किल हो जाता है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. क्षेत्र के लोग जनजातीय क्षेत्र में रहने के बावजूद लोगों को जनजाति का दर्जा नहीं मिल पाया है. वहीं, पंचायत चुनावों में अनुसूचित जाति का कोई भी सदस्य प्रधान का चुनाव नहीं लड़ सकता.

वीडियो रिपोर्ट.

अनुसूचित जाति राकेश जरयाल ने बताया कि उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ प्रकृति की मार तो दूसरा सरकार ओर से इस समुदाय की समस्याओं पर ध्यान न देने से उनकी मुसीबतें बढ़ गई हैं. उन्होंने कहा कि ‌जनजातिय क्षेत्र में रहने के बावजूद अनुसूचित जाति के लोगों को जन‌जाति का दर्जा नहीं मिल पाया है.

राकेश जरयाल ने कहा कि पंचायत प्रधान चुनाव में एससी का कोई भी सदस्य प्रधान का चुनाव नहीं लड़ सकता है. उन्होंने कहा कि जनजातिय क्षेत्र में जब भी कोई योजना आती है तो समुदाय के लोगों को कोई फायदा नहीं होता है लेकिन, उस समय इस समुदाय से जनजाति का प्रमाण पत्र मांगा जाता है. ऐसे में सरकार और प्रशासन को भी अनुसूचित जाति से संबंधित लोगों को ध्यान में रख कर निर्णय लेना चाहिए.

प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस बार पंचायत चुनावों में ऐसी व्यवस्था की जाए, ताकि अनुसूचित जाति का कोई भी सदस्य पंचायत प्रधान का चुनाव लड़ सके. सरकार की तरफ से जनजाति क्षेत्रों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जाती है, लेकिन अनुसूचित जाति के लोगों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पाता है.

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