चंबा: जिला चंबा में पिछले चार सौ साल से विशेष परम्परा के तहत मिंजर मेले का आयोजन किया जाता रहा है लेकिन इस बार प्रशासन ने अलग पहल की है. जिस थीम दिया गया है 'नया चंबा'.
मिंजर मेले में दिखी चंबा की संस्कृति की झलक, पुराने गानों और कलाकारों को दी जा रही तरजीह - चंबा की संस्कृति
मिंजर मेले में पुराने कलाकारों सहित नए कलाकारों को भी प्रशासन ने मौका दिया है ताकि चंबा के युवा गायन के क्षेत्र में आगे बढ़ सके.
'नया चंबा' के तहत पुरानी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए इस बार चंबा में मिंजर का संचालन करने वाले एंकर को भी चम्ब्याली वेशभूषा पहनकर मंच का संचालन करना पड़ रहा है. इससे साफ जाहिर है की प्रशासन की पहल कहीं न कहीं रंग ला रही है.
इसके आलावा चंबा के अधिकतर पुरानी ऐतिहासिक गानों से पुराने गायकों को मंच दिया जा रहा है और ये कहा जाए की इस बार चंबा जिला के ही 80 प्रतिशत कलकारों को मौका दिया गया है तो इससे गुरेज नहीं होगा. पुराने कलाकारों सहित नए कलाकारों को भी प्रशासन ने मौका दिया है ताकि चंबा के युवा गायन के क्षेत्र में आगे बढ़ सके.