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विजय दिवस: शहीद कृष्ण लाल कुंडू को याद कर सिसक उठी मां, कहा-बेटे का सपना रह गया अधूरा

कारगिल की लड़ाई में वैसे तो देश के सैकड़ों जवानों ने अपना बलिदान दिया था, उनमें से एक थे रोहतक के कृष्ण लाल कुंडू जो 1999 में कारगिल विजय युद्ध में हंसते-हंसते शहीद हो गए. आज ईटीवी भारत की टीम उनके घर पहुंची और उनकी 92 साल की मां से बातचीत की.

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Published : Jul 26, 2019, 5:29 PM IST

कारगिर युद्ध

रोहतक:अगस्त 1961 में रोहतक के टिटौली गांव में जन्मे कृष्ण लाल कुंडू 1999 में कारगिल विजय युद्ध में हंसते-हंसते शहीद हो गए. कृष्ण लाल कुंडू 6 जून 1980 को 17 जाट रेजीमेंट में भर्ती हुए थे और 6 जुलाई 1999 को पीपल पोस्ट टाइगर हिल पर दुश्मनों से सामना करते हुए देश पर शहीद हो गए थे.

शहीद बेटे को याद करके सिसक उठती है मां
लेकिन 92 बरस की उनकी बूढ़ी मां फूली देवी आज भी बेटे को याद करके सिसक उठती है. मां का कहना है कि उनका बेटा बड़ा ही मिलनसार था और बड़े छोटे सबसे मिलता जुलता था. उन्होंने कहा कि शहीद होने से 3 दिन पहले बेटे कृष्ण की चिट्ठी आई थी जिसमें लिखा था मां अपना ख्याल रखना, मां से बढ़कर कुछ नहीं होता है.

शहीद कृष्ण लाल कुंडू को याद कर सिसक उठी मां

'बेटे का सपना था पुश्तैनी जमीन पर खेती करना'
मां फूली देवी के आंखों के आंसू तो सूख गए लेकिन बेटे को याद करके आज भी फूली देवी का गला भर आता है. वो कहती हैं कि कृष्ण को खाने में सब कुछ पसंद था और वह अक्सर कहता था रिटायर होने के बाद अपनी पुश्तैनी जमीन पर सारी सब्जियां उगाया करेंगे.

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