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जानें हरियाणा के बासमती उगाने वाले किसान क्यों कर रहे हैं कृषि कानूनों का समर्थन

एक तरफ सिंघु बॉर्डर पर किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए मोर्चा खोले बैठे हैं, वहीं कैथल के किसान अपनी बासमती 1121 की फसल को निजी एजेंसियों को बेच कर खुश हैं. ये किसान तीनों कृषि कानूनों का भी समर्थन कर रहे हैं.

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Published : Dec 19, 2020, 7:53 PM IST

kaithal farmers are happy with the increase in basmati rice prices every day
हरियाणा के ये बासमती उगाने वाले किसान कृषि कानूनों का समर्थन क्यों कर रहे हैं?

कैथल:देश में एक तरफ किसान तीनों कृषि कानूनों को विरोध कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि इन कृषि कानूनों के जरिए निजी सेक्टर्स का दखल खेती-बाड़ी में बढ़ जाएगा. निजी सेक्टर्स किसानों का शोषण करने लगेंगे, लेकिन हरियाणा के बासमती धान 1121 की पैदावार करने वाले किसान निजी एजेंसियों की खरीद से खुश हैं. वो रोजाना बढ़ रहे बासमती के 1121 और पूसा किस्म के धान के दामों से गदगद हैं.

रोजाना 100-200 रुपये बढ़ रहा है भाव

बता दें कि मंडियों में हो रही धान की आवक के बाद धान के दाम रोजाना 100 से 200 रुपये तक बढ़ रहे हैं. पूसा बासमती के भाव 4700 रुपये प्रति क्विंटल और बासमती 1121 के भाव 3150 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं. किसानों का कहना है कि धान के सीजन में शुरुआत में तो रेट काफी कम थे. जो 1700 रुपये प्रति क्विंटल तक खरीदी जा रही थी, लेकिन अब रेट बढ़ने से किसानों को काफी फायदा हो रहा है.

कैथल के किसान बासमती 1121 की फसल को निजी एजेंसियों को बेच कर खुश हैं, देखिए वीडियो

3150 रुपये पहुंचा बासमती 1121 का दाम

पिछले सप्ताह 1121 के भाव 2700 से 2800 रुपये प्रति क्विंटल थे, लेकिन अब बासमती 1121 के दाम 3150 तक पहुंच गए हैं. पूसा बासमती के भाव 4700 रुपये प्रति किवंल्ट तक पहुंचे है. किसानों का कहना है कि अच्छा भाव मिलने से किसानों का खर्च भी पूरा होगा और थोड़ा मुनाफा भी होगा. यह धान प्राइवेट एजेंसी की तरफ से खरीदी जा रही है.

'नए कानूनों से आपत्ति नहीं, बस थोड़ा सुधार चाहिए'

वहीं जब किसानों से 3 नए कानून के बारे में बात की गई कि 3 नए कानूनों में भी यही लिखा गया है कि किसान की फसल को प्राइवेट एजेंसी प्राइवेट कंपनियां खरीदेंगे और बासमती धान को भी प्राइवेट कंपनी खरीद रही है. अच्छे रेट में खरीद रही है. तो इस पर किसानों ने कहा कि हम भी चाहते हैं कि हमारा धान को प्राइवेट एजेंसी खरीदे. जिससे हमें अच्छा रेट मिल सके, लेकिन हम इसमें थोड़ा सुधार यह चाहते हैं कि जो हमारी फसल बेची जाती है. वो कमीशन एजेंट की तरफ से बेची जाए, क्योंकि कमीशन एजेंट हमारा विश्वास पात्र है और उससे हम दिन रात किसी भी समय पैसे ले लेते हैं तो हमें किसी भी चीज की कोई समस्या नहीं होती. बाकी हम तीन कृषि कानून का समर्थन करते हैं.

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कमीशन एजेंट भी खरीददारी से हैं खुश

कमीशन एजेंट मुनीश ने इस बारे में कहा कि अब रोजाना बासमती का भाव बढ़ता जा रहा है. जिससे अब मंडी में किसान पहले से ज्यादा अपनी धान लेकर आ रहे हैं. हालांकि बासमती को प्राइवेट एजेंसी ही खरीदें करती है, लेकिन पहले बहुत कम भाव में कंपनियां खरीद रही थी. अब रोजाना रेट बढ़ते जा रहे हैं और किसान को अच्छे भाव मिल रहे हैं. जिससे कैथल के अनाज मंडी पूरी तरह से बासमती धान से भरी हुई है.

किसानों ने की मोटी धान की बकाया पेमेंट की मांग

किसानों ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने जो मोटी धान खरीदी थी. डेढ़ महीना बीतने के बाद भी उनके पैसे किसानों के खाते में नहीं पहुंचे. जो 72 घंटे में पैसे पहुंचाने का दावा करते थे. वहां पर उनके दावे खोखले दिखाई दिए. किसानों ने कहा कि जब सीजन था उस समय उनकी धान 1700 रुपये प्रति क्विंटल खरीदी जा रही थी. जिस वजह से उन्होंने धान का स्टॉक अपने घरों में ही किया और अब रेट अच्छा मिलने पर किसान मंडी में अपनी धान लेकर आ रहे हैं.

फिलहाल किसानों के चेहरे खिले हुए हैं. जो मायूसी किसानों के चेहरे पर छाई हुई थी बासमती ने उस मायूसी को दूर किया और किसानों के चेहरे खिले हुए दिखाई देते हैं. जिसकी वजह है बासमती का अच्छा भाव मिलना. बासमती का अच्छा भाव प्राइवेट एजेंसी के द्वारा ही दिया जा रहा है. जिसका कुछ लोग विरोध करते हैं कि प्राइवेट एजेंसी अगर किसान की फसल खरीदेगी तो वह अच्छा भाव नहीं देगी, लेकिन मौजूदा समय में किसानों के लिए और विपक्ष की पार्टियों के लिए एक बड़ा उदाहरण यह पेश करते हैं.

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