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कार कंपनी ने किया EMI का फर्जीवाड़ा, उपभोक्ता अदालत ने लगाया 36 हजार का जुर्माना

उपभोक्ता अदालत ने कार कंपनी टोयोटा को फटकार लगाते हुए शिकायतकर्ता व्यक्ति को जुर्माने के तौर पर 30 हजार रुपये व अदालती खर्च के 6 हजार रुपये देने का आदेश दिया है. पेशे से वकील आफताब सिंह खारा ने कार की ईएमआई में फर्जीवाड़े को लेकर शिकायत की थी जिसके बाद ये फैसला सुनाया गया.

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Published : Jun 30, 2019, 7:43 PM IST

consumer court

फतेहाबाद: शिकायत में बताया गया कि टोहाना के रहने वाले एडवोकेट आफताब सिंह खारा ने 2 जनवरी 2017 को टोयोटा कंपनी से कार खरीदी थी जिसमें उन्होंने कार की डाउन पेंमेट के अलावा 30 महीने की ईएमआई बनवाई थी. आफताब सिंह ने कार की ईएमआई भरने के लिए एचडीएफसी बैंक में अपने खाते से ऑटोमेटिक ईएमआई करवाई हुई थी जिससे बैंक द्वारा हर महीने कंपनी को कार की किश्त अदा करवा दी जाती थी.

8 नवंबर 2018 को बैंक द्वारा कार की किश्त जब कंपनी के खाते में इलैक्ट्रॉनिक डिपोजिट सिस्टम द्वारा डाली गई तो कंपनी द्वारा उक्त राशि को वापिस कर दिया गया और उक्त महीने की किश्त को पेंडिंग दिखा दिया गया जिसके बारे में उपभोक्ता को भी कोई जानकारी नहीं दी गई. जब उपभोक्ता ने करीब 6 महीने बाद अपने खाते की जानकारी ली तो पाया कि उन पर कपंनी द्वारा नवंबर महीने की किश्त ना भरने के कारण हजारों रुपये का जुर्माना लगाया गया है.

यहां देंखे वीडियो.

साथ ही ये बात भी देखनी को मिली कि कंपनी द्वारा बैंक से उपभोक्ता की आ रही ईएमआई को नंवबर महीने की ईएमआई में सिग्नेचर मिस मैच का कारण बता दिया गया जबकि नंवबर से पहले व बाद में करीब दर्जनों किश्तों पर कोई ऐतराज नहीं जताया गया जिससे साबित होता है कि कंपनी द्वारा एक सोची समझी साजिश के तहत यह कार्य किया गया है. जैसे इस बात का पता उपभोक्ता आफताब खारा को लगा तो उन्होंने तुरंत ही इसकी जानकारी बैंक को दी.

बैंक अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने हर महीने की तरह नवंबर महीने में भी किश्त कंपनी को डिपोजिट करवा दी थी लेकिन कपंनी ने उक्त किश्त को बिना बताए रिफंड कर दिया था. आफताब सिंह ने कंपनी द्वारा की गई खातों में हेराफेरी को लेकर जिला उपभोक्ता अदालत में शिकायत की और 30 मई 2019 को कोर्ट ने अपना फैसला उपभोक्ता आफताब सिंह खारा के हक में सुनाया जिसमें कंपनी को दोषी मानते हुए कंपनी द्वारा उपभोक्ता को 30 हजार रुपये जुर्माने की राशि व कोर्ट केस का करीब 6 हजार रुपये का खर्च भी देने का आदेश दिया.

हालांकि कंपनी द्वारा उक्त केस को चुनौती देते हुए राज्य उपभोक्ता अदालत में याचिका लगानी चाही लेकिन वहां भी कपंनी को निराशा हाथ लगी और याचिका को खारिज कर दिया गया.

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