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पद्म श्री गूंगा पहलवान फिलहाल धरने से उठे, CM ने बातचीत के लिए बुलाया

हरियाणा सरकार के विरोध में धरने पर बैठे पैरा रेसलर वीरेंद्र सिंह उर्फ गूंगा पहलवान (goonga pehelwan virender singh dharna) फिलहाल धरने से उठ गए हैं. मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Manohar lal) ने उन्हें गुरुवार को मुलाकात के लिए बुलाया है.

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Published : Nov 10, 2021, 10:09 PM IST

goonga pehelwan virender singh
goonga pehelwan virender singh

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार से समान अधिकार की मांग करते हुए पैरा रेसलर वीरेंद्र सिंह जिन्हें गूंगा पहलवान (wrestler virender singh) के नाम से भी जाना जाता है, बुधवार को दिल्ली में स्थित हरियाणा भवन के बाहर धरने पर बैठ गए थे. वहीं अब सरकार की उनसे बात हो गई है. फिलहाल गूंगा पहलवान धरने से उठ गए हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Manohar lal) ने उन्हें गुरुवार को मुलाकात के लिए बुलाया है.

इसको लेकर गूंगा पहलवान ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए लिखा कि लम्बे समय के बाद हरियाणा सरकार के डायरेक्ट स्पोर्ट्स एंड युथ अफेयर्स पंकज नैन जी का फोन मेरे पास आया है. उनकी बात मुख्यमंत्री जी से हुई है और कल चंडीगढ़ बुलाया है. अगर वो समान अधिकार की बात करते हैं तो मैं बात करूंगा नहीं तो कल चंडीगढ़ में सीएम हॉउस के बाहर प्रदर्शन जारी रहेगा.

सरकार से बात को लेकर गूंगा पहलवान ने ट्विटर पर दी जानकारी

वहीं गूंगा पहलवान को लेकर हरियाणा के खेल निदेशक पंकज नैन ने कहा कि हरियाणा सरकार की जो खेल की पॉलिसी है उसके मुताबिक उसमें एक नौकरी देने की और एक कैश अवार्ड देने की बात है. ओलंपिक और पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर 6 करोड़ कैश देने का प्रावधान है. डेफ ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर एक करोड़ बीस लाख का कैश अवार्ड है, जो कि पूरे देश में सबसे ज्यादा है, और इसी पॉलिसी के तहत गूंगा पहलवान को 2016 में गोल्ड जीतने के 2018 में एक करोड़ 20 लाख रुपए दे दिए गए थे.

नौकरी की जहां तक बात है, पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर या डेफ ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर क्लास बी में नौकरी का प्रावधान है. नौकरी में दोनों को लेकर एक ही प्रावधान है. जबकि पैरा ओलंपिक में 6 करोड़ और डेफ खेलों में गोल्ड मेडल जीतने पर एक करोड़ 20 लाख का प्रावधान है. जो कि इनको मिल चुके हैं और मैं बताना चाहूंगा कि यह देश में पहला राज्य है जहां इतने बड़ी इनामी राशि दी जाती है.

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हालांकि उन्होंने कहा कि सेंट्रल गवर्नमेंट 75 रूपये लाख देती है. इनकी मांग है कि डेफ को भी पैरा ओलंपिक के बराबर सम्मान दिया जाना चाहिए. इनकी मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि एक कमेटी बनाई जाए. जिसमें नॉर्मल एबल्ड बोड्रेड ओलंपियन को भी शामिल करें. पैरा और डेफ ओलंपियन को भी इसमें शामिल करें. अन्य अधिकारियों को भी शामिल करें, और एक नतीजे पर आएं कि क्या ऐसा करने से किसी को कोई विरोध तो नहीं है. या जो भी कमेटी फैसला लेगी, उसके मुताबिक आगे कहीं इसमें बदलाव की जरूरत है तो वो कर देंगे.

पंकज नैन ने कहा कि गूंगा पहलवान खेल विभाग में कोच के पद पर तैनात हैं. अभी यह करनाल में पोस्टेड हैं. वहीं लगातार प्रैक्टिस भी कर रहे हैं. इसके लिए उनको परमिशन भी दी गई है. साथ में ये विभाग के ही खिलाड़ी हैं और कोच की भी नौकरी कर रहे हैं. इसके साथ ही खेल निदेशक कि उनके सहायक के साथ बात हो गई है और उन्हें मुख्यमंत्री के निर्देश के बारे में जानकारी दे दी गई है. इस पर वह सहमत हो गए हैं, और अपना प्रदर्शन खत्म कर रहे हैं, और कल मुख्यमंत्री से आकर मुलाकात भी करेंगे.

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गौरतलब है कि पहलवान वीरेंद्र सिंह को बीते दिन ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए कई मेडल जीत चुके गूंगा पहलवान उर्फ वीरेंद्र सिंह अपना पद्मश्री अवॉर्ड लेकर घर नहीं गए बल्कि दिल्ली स्थित हरियाणा भवन के बाहर धरने पर बैठ गए थे.

झज्‍जर के गांव सासरौली के वीरेंद्र सिंह को शिकायत है कि हरियाणा सरकार द्वारा उन्हें समान अधिकार नहीं दिया दिया जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार उन्हें सम्मानित कर रही है. उन्होंने ट्विटर पर अपनी तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी आपके आवास दिल्ली, हरियाणा भवन के फुटपाथ पर बैठा हूं और यहां से जब तक नहीं हटूंगा जब तक आप हम मूक-बधिर खिलाड़ियों को पैरा खिलाड़ियों के समान अधिकार नहीं देंगे, जब केंद्र हमें समान अधिकार देती है तो आप क्यों नहीं?.

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