चंडीगढ़: किसानों को राहत देने के लिए फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया, लेकिन ये कागजों में ही रह गया. सूरजमुखी की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होने को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने हरियाणा और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं.
मामले को लेकर दायर याचिका में बताया गया है कि पिछले 3 साल से हरियाणा में सूरजमुखी उसके न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदी जा रही है. यहां तक कि खरीद एमएसपी से बेहद कम पर हो रही है. याचिकाकर्ता ने कहा कि किसान लाभ प्राप्त करने के लिए फसल की बिजाई करता है और इसे सींच कर अनाज पैदा करता है. लेकिन जब उसे बेचने जाता है तो अकसर उसे लागत से भी कम मूल्य मिलता है, जो किसान के साथ अन्याय है.
कोर्ट को बताया गया कि 2016-17 में एमएसपी 3950 रु. था, जबकि सरकार की ओर से जो खरीद की गई वो 3800 रुपए के मुताबिक खरीदी गई. इस साल सूरजमुखी का एमएसपी 5388 रु. है, लेकिन फसल 4100 रु. में खरीदी जा रही है. हाईकोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए हरियाणा सरकार से पिछले 3 साल में सूरजमुखी की की खरीद और उसकी एमएसपी का पूरा ब्योरा 20 मई को पेश करने के आदेश दिए थे.
सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार के वकील शरद अग्रवाल ने हाईकोर्ट को बताया कि हर साल फसल की खरीद का एमएसपी केंद्र सरकार तय करती है. इसके आने से पहले जो खरीद होती है वो पिछली एमएसपी के अनुसार होती है. ऐसे में याचिका आधारहीन है और इसे खारिज किया जाए. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार हलफनामा दाखिल कर इस बारे में स्थिति स्पष्ट करे. ऐसे में केंद्र और हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं.