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सरकार और निजी स्कूलों की तनातनी में दांव पर गरीब बच्चों का भविष्य, जिम्मेदार कौन?

134ए को लेकर सरकार और प्राइवेट स्कूलों में तनाव बरकरार है. शुक्रवार को अंबाला के फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन ने जिला उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा. साथ ही सरकार को भी चुनावों को लेकर चेतावनी दी.

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Published : May 3, 2019, 8:13 PM IST

स्कूल संचालकों ने किया विरोध-प्रदर्शन

अंबाला: शुक्रवार को फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष और निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा की अध्यक्षता में सभी सदस्यों ने जिला उपायुक्त शरणदीप कौर बराड़ को अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा. बता दें कि पिछले कुछ महीनों से 134 ए के तहत प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों की एडमिशन को लेकर प्राइवेट स्कूल की मैनेजमेंट अथॉरिटी और अभिभावकों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है.

प्राइवेट स्कूल की मैनेजमेंट अथॉरिटी का कहना है कि जब से यह सरकार बनी है तब से लेकर अभी तक गरीब बच्चों को जो उन्होंने अपने स्कूल में ऐडमिशन दी है. उनकी फीस सरकार ने अभी तक नहीं दी है. जिसके चलते उन्होंने सरकार के इस फैसले के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए किसी भी बच्चे को एडमिशन देने से साफ इनकार किया है.

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फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन और निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा की बाकी राज्यों कि सरकारों ने इस स्कीम के तहत प्राइवेट स्कूल्स को पैसे दिए हैं. जैसे दिल्ली में केजरीवाल ने 1700 रुपए राजस्थान में 1200 रुपए और सिर्फ हरियाणा में ही सरकार ₹400 देने का दावा कर रही है. लेकिन अभी तक पिछले 5 सालों में किसी भी प्राइवेट स्कूल के खाते में गरीब बच्चों की फीस जमा नहीं हुई है. जिसके चलते हमने गरीब घरों के बच्चों को ऐडमिशन नहीं देने का फैसला लिया है.

कुलभूषण शर्मा, निसा, राष्ट्रीय अध्यक्ष

कुलभूषण शर्मा ने साफ शब्दों मे कहा यदि सरकार बच्चों की फीस नहीं देती है. तो इन चुनावों में बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

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