बीजिंग :"नितांत एकाकी क्षणों में महसूस किए हुए भावों को शब्दों में ढालना होगा, जिस साधना को शब्दों के माध्यम से दुनिया को रूबरू कराना है वो सहज है और बेहद जटिल भी" -- योग साधिका गुफंग अपनी योग-यात्रा पर लेख लिखे जाने पर अपनी भावाभिव्यक्ति देती हैं. वो कहती हैं कि ‘ये यात्रा ऐसी है जिसकी कोई मंज़िल नहीं है, ये साधना मेरे साथ जीवन के अंत तक चलेगी.‘ अपने लिए योग के मायने बताते हुए वो लगभग शब्दों से खाली हो जाती हैं फिर एक गहन चुप्पी के बाद कहती हैं कि “योग और अध्यात्म एक सिक्के के दो पहलू हैं, जो मस्तिष्क, शरीर और आत्मा को एक सूत्र में पिरोने का काम करते हैं. तन और मन को आनंद से भर देने वाला योग ध्यान पर निर्भर है.”
2002 में चाइना एवरब्राइट बैंक के दो विभागों की व्यवस्थापक के तौर पर अपने करियर की शानदार शुरुआत करने वाली गुफंग के शानतोंग प्रांत की राजधानी जीनान में अपने तीन योग केंद्र हैं, वो बताती हैं कि मुझे पता था कि योग हमेशा के लिए मेरे जीवन का हिस्सा बनने जा रहा है इसलिए मैने बैंक की नौकरी हमेशा के लिए छोड़ दी और 2007 में अपने योग केंद्र की शुरूआत की जिसे उन्होने ‘शिवा योगा’ नाम दिया है. वो बताती हैं कि मेरी हिंदू शास्त्रों में हमेशा से रूचि रही है और शास्त्र बताते हैं कि आदियोगी भगवान शिव पहले योगी हैं इसलिए उनके नाम पर मैंने अपने योग केंद्र को ये नाम दिया.
ऋषिकेश में असीम शांति का अनुभव
ये 2005 का साल था जब गुफंग पहली बार भारत गयी थी, वो बताती हैं कि मैं 2002 से ही योगाभ्यास कर रही थी तभी से मैंने भारत की योगनगरी ऋषिकेश के बारे में सुना था और मेरी ऋषिकेश देखने की बहुत इच्छा थी . 2005 में जब मैं ऋषिकेश गयी तो ये एक सपने के सच होने जैसा था, मैंने वहाँ जाकर असीम शांति का अनुभव किया. बिज़नस वोमेन होने की वजह से उन्होने कई विदेश यात्राएं की हैं जिनमें तुर्की, ग्रीस, थाईलैंड, जापान, इजिप्ट, अमेरिका और भारत शामिल हैं . अपनी सभी विदेश यात्राओं में वो भारत को अपना पसंदीदा देश मानती हैं उनका मानना है कि भारत की मिट्टी में आध्यात्म बसता है उन्हें भारत जाकर किसी पर्यटन स्थल पर घूमने से ज़्यादा ऋषिकेश में गंगा तट पर चुपचाप बैठना पसंद है. वो कहती हैं कि मैं गंगा तक पर घंटों बिता सकती हूँ , वो मेरे लिए परम शांति के पल होते हैं . वहां के वातावरण में गूंजती मंत्रोच्चार की ध्वनि मन को सूकून देती है.
49 वर्षीय गुफंग मानती हैं कि योग के लिए किसी मशीन की आवश्यकता नहीं है. प्रकृति से मिलाप की इस विधा को आप बैठकर या खड़े होकर किसी भी प्रकार से कर सकते हैं. योग से बड़ा कोई अध्यात्म नहीं है. योग स्वयं को खोजने की यात्रा है और हर व्यक्ति को इस यात्रा का हिस्सा बनना चाहिए. योग से आपका मन शांत रहता है और आप इस बात को जान पाएंगे कि मैंने क्या पाया है और क्या खोया है. योग एक ऐसा अभ्यास है जो मानव को साधना से चेतना तक की अद्भुत यात्रा पर ले जाता है. जब मनुष्य स्वयं को साधने के लक्ष्य के साथ इस परम यात्रा पर निकलता है तो इसकी शुरुआत अपने मन को साधने से करनी होती है.