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Published : Mar 4, 2021, 1:30 AM IST

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जेएनयू कुलपति ने शिक्षक संघ पर साधा निशाना, कहा- फैला रहे हैं गलत तथ्य

जेएनयू के कुलपति प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार ने शिक्षक संघ द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है. उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षकों का एक समूह छात्रों को भड़काकर विश्वविद्यालय की छवि को निरंतर धूमिल करने का प्रयास कर रहा है.

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जेएनयू कुलपति

नई दिल्लीःजवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार ने जेएनयू शिक्षक संघ द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है. उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षकों का एक समूह छात्रों को भड़काकर विश्वविद्यालय की छवि को निरंतर धूमिल करने का प्रयास कर रहा है. बता दें कि जेएनयू शिक्षक संघ द्वारा आरोप लगाया गया था कि कुलपति ने अपने मनमाने तरीके से निर्णय लेने के चलते विश्वविद्यालय की छवि को कमजोर किया है.

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साथ ही यह भी कहा था कि कुलपति प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार के पिछले 5 साल के कार्यकाल में विश्वविद्यालय में किसी तरह का विकास नहीं हुआ है. शिक्षक संघ के इस आरोप को बेबुनियाद बताते हुए प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने कहा कि शिक्षक संघ इस तरह की गलत जानकारियां फैलाकर अपना मतलब साध रहे हैं.

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'विश्वविद्यालय का गवर्नेंस सिस्टम काफी मजबूत हुआ'

कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय ने पिछले 5 सालों में कोई विकास नहीं किया, यह वही लोग कह सकते हैं जो विश्वविद्यालय को धराशाई करने पर आमादा हैं. उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल के पिछले 5 साल में उन्होंने विश्वविद्यालय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. साथ ही उन्होंने कहा कि यूजीसी द्वारा जारी सभी दिशा निर्देशों और नियमों का भी पूरी तरीके से पालन किया गया है, जिसके चलते विश्वविद्यालय का गवर्नेंस सिस्टम काफी मजबूत हुआ है.

दाखिले को लेकर उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से दाखिला के लिए परीक्षा का कार्यभार नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा संभाला गया है, जिससे दाखिले में पूरी तरह पारदर्शिता बनी हुई है. साथ ही उन्होंने कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का भी यही कहना है कि भविष्य में प्रवेश परीक्षाएं एनटीए द्वारा ही आयोजित कराई जाए. उन्होंने कहा कि ऐसे में यह समझ से परे है कि क्यों जेएनयू शिक्षक संघ के साथ काम करने पर अपना विरोध जता रहा है.

'न्यू एजुकेशन पॉलिसी से जेएनयू तीन साल आगे'

साथ ही उन्होंने कहा कि जेएनयू शिक्षक संघ विश्वविद्यालय में मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग कॉलेज बनाए जाने के विरोध में है. जबकि मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग कॉलेज किस लिए बनाए गए थे जिससे विश्वविद्यालय के अकादमी प्रोग्राम का विस्तार किया जा सके. वहीं उन्होंने स्पष्ट किया कि अलग से इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की कॉलेज नहीं खोले गए हैं, बल्कि यह एक अपने आप में अनोखा डुएल डिग्री प्रोग्राम शुरू किया गया है. 5 साल के इस डिग्री प्रोग्राम में छात्र बेसिक इंजीनियरिंग के साथ ही सोशल साइंस और लैंग्वेज में अपनी मास्टर डिग्री भी पढ़ेंगे.

उन्होंने कहा कि यह अपने आप में एक अनोखा एक्सपेरिमेंट है. साथ ही उन्होंने कहा कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी भी मल्टीडिसीप्लिनरी एजुकेशन के बारे में बात करती है जो जेएनयू में पहले ही शुरू की जा चुकी है. यानि यह कहा जा सकता है कि हम न्यू एजुकेशन पॉलिसी से 3 साल आगे चल रहे हैं.

'नियुक्ति प्रक्रिया में बरती गई पारदर्शिता'

साथ ही उन्होंने कहा कि फैकल्टी सिलेक्शन कमिटी के लिए एक स्पोर्ट्स का चुनाव करना हो या फिर चेयरपर्सन और डीन की अपॉइंटमेंट हो, इस पूरी प्रक्रिया में विश्वविद्यालय नियमों का ध्यान रखा गया है. साथ ही पूरी तरह से पारदर्शिता बरती गई है. कुलपति ने सफाई में अपनी उपलब्धियां भी गिनाई. उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय में बहुत से बदलाव हुए हैं और सबसे बड़ा बदलाव तो यह हुआ है कि अब जेएनयू के ऑफिस इसमें किसी तरह के पेपर वर्क नहीं होते कोई फाइल नहीं आती, बल्कि स्कॉलरशिप प्रक्रिया से लेकर पीएचडी थीसिस जमा करने और वाइवा सहित सब कुछ ऑनलाइन हो चुका है.

साथ ही उन्होंने कहा कि दाखिला प्रक्रिया और भी पारदर्शी हो गई है, क्योंकि सभी के लिए प्रवेश परीक्षाएं एमसीक्यू फॉर्मेट में आयोजित की जा रही है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ द्वारा यह आरोप लगाए जाने पर कि उन्हीं के कार्यकाल में ऐसा हुआ है कि पहली बार शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिला है. इसको लेकर प्रो. एम जगदीश कुमार ने कहा कि वेतन देने में देरी जरूर हुई है, लेकिन कल ही सभी का वेतन जारी कर दिया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि आज यूजीसी द्वारा बैंक में फंड भी आ चुका है, जिसके बाद बचे हुए कर्मचारियों का वेतनमान भी सब तक पहुंच जाएगा.

'विचार व्यक्त करने का अधिकार, गलत तथ्य फैलाने का कड़ा विरोध'

उन्होंने कहा कि किसी भी चीज का विरोध या असहमति स्वागत करते हैं, लेकिन गलत अफवाह फैलाई जाने का वह पुरजोर विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी बात आगे रखने का अधिकार है और हम उन्हें पूरा अवसर देते हैं कि वह अपने विचार व्यक्त कर सकें, लेकिन इसका यह बिल्कुल मतलब नहीं है कि बिना किसी तथ्य के गलत खबरें फैलाई जाएं.

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