दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

Pressure on Tihar Jail: जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होना मानवाधिकार का उल्लंघन

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा कि देश भर की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों का होना चिंता का विषय है. सभी उच्च न्यायालयों को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए, क्योंकि इसमें मानवाधिकारों का उल्लंघन शामिल है.

जेलों में क्षमता से अधिक कैदी
जेलों में क्षमता से अधिक कैदी

By

Published : Apr 12, 2023, 6:50 PM IST

नई दिल्ली: देशभर के अधिकतर राज्यों की जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी बंद हैं. बात सिर्फ तिहाड़ जेल की नहीं है. जानकारी के अनुसार किसी भी जेल में क्षमता से अधिक कैदी होना मानव अधिकारों का उल्लंघन है. अगर इसको लेकर कोई याचिका दायर करता है, तो इस पर कोर्ट संज्ञान ले सकता है.

जेलों में क्षमता से अधिक कैदी मानवाधिकार का उल्लंघन

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एपी सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हजारों कैदियों को पैरोल पर छोड़ा गया था. अब उन कैदियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सरेंडर करना है. बहुत से कैदियों ने कोर्ट के आदेश के बाद सरेंडर किया है. जबकि बहुत सारे कैदियों ने सरेंडर नहीं किया है. एपी सिंह का कहना है कि पैरोल पर छोड़े गए कैदियों में से जो वापस नहीं आए हैं. हो सकता है कि वह अपनी जमानत याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे होंगे. या फिर उन्हें सरेंडर करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में जानकारी नहीं होगी. जब कैदी कोर्ट में पेश होंगे तो कोर्ट उनकी दलीलों को सुनेगा.

सरेंडर नहीं करने पर होगी पुलिस कार्रवाई:वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि सरेंडर नहीं करने वाले कैदियों के सामने आदेश की जानकारी न होना, बीमार होना, जमानत याचिका दायर करने के लिए पैसा ना होना जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं होने का भी कैदियों को लाभ मिलेगा. हालांकि अगर लंबे समय तक यह कैदी सरेंडर नहीं करते हैं, तो फिर इनको पकड़ने के लिए कोर्ट के निर्देश पर पुलिस कार्रवाई करेगी.

कोरोना की वजह से कामकाज प्रभावित:कोरोना काल के बाद से अदालतों का कामकाज भी प्रभावित हुआ है. बहुत सारे लंबित मामलों की संख्या भी बढ़ी है. इसलिए कोरोना काल में छोड़े गए कैदियों के मामलों का निपटारा होने में भी समय लगेगा. जो कैदी सरेंडर कर चुके हैं, वे अपनी जमानत याचिका दायर करेंगे. फिर उस पर नंबर के अनुसार सुनवाई होगी. इनमें बहुत से ऐसे भी कैदी होंगे, जिनको पहले ही सजा हो चुकी है या कुछ की सजा पूरी भी हो गई होगी. कुछ का केस भी खत्म हो गया होगा. उनको भी कोर्ट के अग्रिम आदेश के बाद ही मामले से छुटकारा मिलेगा.

ये भी पढ़ें:Pressure on Tihar Jail: तिहाड़ जेल में क्षमता से अधिक कैदी बंद, इन जेलों के निर्माण के बाद कम होगा दबाव

देश भर केजेलों में कैदियों का दबाव: देशभर में जिस तजी से अपराध में वृद्धि होती है. उसी हिसाब से जेलों में कैदियों का दबाव बढ़ता है. हालांकि उस तेजी के साथ जेलों का निर्माण करना भी संभव नहीं है. दिल्ली में भी दो जेलें बनना प्रस्तावित है. इसकी लंबी प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में समय लग रहा है. उन्होंने कहा कि तिहाड़ जेल में पहले से ही क्षमता से ज्यादा कैदी हैं. बचे हुए कैदी भी सरेंडर करेंगे तो और ज्यादा दबाव बढ़ेगा. लेकिन, किसी भी देश में जेलों में कैदियों का बढ़ना अच्छा संकेत नहीं होता है.

ये भी पढ़ें:Pressure on Tihar: जेलों में बढ़ती भीड़ से बिगड़ रहा सामाजिक ताना-बाना

ABOUT THE AUTHOR

...view details