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Shab e Barat 2023: जानिए मुसलमान क्यों मनाते हैं शब-ए-बारात, गाजियाबाद इमाम की नौजवानों से खास अपील

शब ए बारात इबादत, तिलावत और सखावत की रात होती है. इस दिन अल्लाह की सच्चे मन से इबादत की जाती है. हदीस की किताबों में शब-ए-बारात का विशेष महत्व बताया गया है.

गाजियाबाद इमाम की नौजवानों से खास अपील
गाजियाबाद इमाम की नौजवानों से खास अपील

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Published : Mar 7, 2023, 5:37 PM IST

गाजियाबाद इमाम की नौजवानों से खास अपील

नई दिल्ली/गाजियाबाद: इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक माह-ए-शाबान की 15वीं तारीख की रात को शब-ए-बारात कहते हैं. शब-ए-बारात की रात मुसलमान इबादत कर गुजारते हैं. रात में मुसलमान अपने चाहने वालों की कब्रों पर जाकर उनके लिए दुआएं मांगते हैं. इस पवित्र रात में गरीबों, यतीमो, बेसहारा और बेवाओं को खैरात आदि दिया जाता है. शब-ए-बारात को शब-ए-कदर की रात भी कहा जाता है, जिसका मतलब इबादत की रात होता है. इस रात लोग अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं.

होली पर मुसलमान भी करेंगे रात भर इबादत: शब-ए-बारात की मुकद्दस रात अल्लाह के हुकुम से फरिश्ते नीचे उतरते हैं. जो लोग इस रात इबादत में मशगूल रहते हैं, फरिश्ते उनपर रहमतों की बरसात करते हैं. जिससे उनके गुनाहों की माफी होती है. अल्लाह गुनाहों को बख्शने वाले हैं. इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि कसरत से इस रात को इबादत करें और अपनी गुनाहों की माफी खुदा से मांगे. आगे भी किसी भी तरह के गुनाहों से बचें. यह साल में एक बार आती है.

शब पर्शियन भाषा है, जिसका मतलब रात है. बराअत अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब मुक्ति होता है. शब-ए-बारात का मतलब मुक्ति वाली रात है. हदीस की किताबों में शब-ए-बारात का विशेष महत्व बताया गया है. शब-ए-बारात की रात रोजी रोटी की दुआ मांगने वालों को अल्लाह रोजी-रोटी अता फरमाता है. जो लोग परेशान हैं, घर में बरकत नहीं है उन लोगों की अल्लाह परेशानी हल कर घरों में बरकत अता करता है.

गाजियाबाद के शहर इमाम मुफ्ती मोहम्मद जमीर बेग कासमी ने मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपील की है शब-ए-बारात के साथ-साथ होलिका दहन का त्योहार भी है. शब-ए-बारात की रात अल्लाह की इबादत में गुजारे. इस दौरान गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल कायम करते हुए शांति पूर्वक त्योहार मनाए. शहर इमाम ने विशेष तौर पर लोगों से अपील की है कि अपनी गाड़ियों की चाबी है इस दिन नौजवानों को हरगिज ना दें. गली कूचे में नौजवान किसी भी तरह का हुड़दंग ना करें, ना ही एक गाड़ी पर तीन से चार लोग बैठकर सफर करें.

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शहर इमाम ने अपील में कहा कब्रिस्तान जाने के लिए उन तमाम रास्तों का इस्तेमाल करें, जहां होलिका दहन ना हो रहा हो. मुस्लिम समुदाय के जो भी जिम्मेदार लोग हैं, वह पुलिस प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करें. यदि कोई भी असामाजिक तत्व गलत इरादा रखते हुए माहौल को बिगाड़ने की कोशिश करता है तो उसकी सूचना तुरंत पुलिस प्रशासन को दें. मुझे उम्मीद है कि हम इन तमाम बातों पर अमल करते हुए मुल्क की सदियों पुरानी गंगा जमुनी तहजीब को बरकार रखेंगे.

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