इस्लामाबाद :अफगानिस्तान पर पिछले महीने तालिबान के नियंत्रण के बाद, एक दशक में पहली बार संवाददाता सम्मेलन में मीडिया से मुखातिब होने वाले तालिबान प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने कहा कि वह राजधानी काबुल में अपने उन विरोधियों के आसपास रहते थे, जो युद्ध के दौरान उन्हें 'काल्पनिक' शख्सियत मानते थे.
वर्षों तक गुपचुप तरीके से काम करने वाले मुजाहिद ने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान के नौशेरा में हक्कानिया मदरसे में अध्ययन किया, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान विश्वविद्यालय या 'जिहाद विश्वविद्यालय' भी कहा जाता है.
मुजाहिद (46) ने एक साक्षात्कार में 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' अखबार से कहा, 'वे (अमेरिका और अफगान नेशनल फोर्सेज) सोचते थे कि मेरा कोई वजूद नहीं है.' तालिबन के प्रवक्ता ने कहा, 'मैं उनकी छापेमारी और पकड़ने के प्रयासों से इतनी बार बचा कि उन्हें लगने लगा कि 'जबीउल्लाह' कोई काल्पनिक व्यक्ति है, वास्तव में उसका कोई वजूद नहीं है.'
उन्होंने कहा, 'और फिर भी, मैं अफगानिस्तान में स्वतंत्र रूप से घूमने में कामयाब रहा. मुझे लगता है कि इस धारणा ने उसमें मदद की.'
मुजाहिद ने कहा, 'मैं लंबे समय तक काबुल में रहा, वो भी सबके सामने. मैं देश के कोने-कोने में घूमता रहा. मैं वहां तक पहुंचने में भी कामयाब रहा, जहां तालिबान काम करता था और सारी जानकारी रखता था. हमारे विरोधियों के लिए यह काफी हैरान करने वाला था.'