संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र की एक अहम रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल मई में भारत व बांग्लादेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में आया चक्रवाती तूफान अम्फान उत्तरी हिंद महासागर में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला था और इस उष्णकटिबंधीय चक्रवात के कारण भारत को करीब 14 अरब अमेरिकी डॉलर की आर्थिक क्षति हुई.
पढ़ें-'कोरोना का प्रहार, ऑक्सीजन पर मचा हाहाकार', जानिए क्या है असली वजह
'स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2020' रिपोर्ट सोमवार को जारी की गयी और इसमें कहा गया है कि प्रतिकूल मौसम के साथ कोरोना वायरस ने 2020 में लाखों लोगों के लिए दोहरा झटका दिया. हालांकि, महामारी से संबंधित आर्थिक मंदी जलवायु परिवर्तन कारकों पर काबू लगाने में विफल रही.
ठंडे 'ला नीना' प्रभाव के बावजूद वर्ष 2020 रिकॉर्ड के अनुसार, तीन सबसे गर्म वर्षों में से एक था. वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक (1850-1900) स्तर से लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया. साल 2015 के बाद से छह साल सबसे गर्म साल रहे हैं. 2011-2020 का दशक सबसे गर्म दशक रहा.
पढ़ें-कोरोना की दूसरी लहर अधिक संक्रामक, राष्ट्रीय लॉकडाउन जरूरी : लैंसेट रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने रिपोर्ट जारी होने के मौके पर कहा, यह एक भयावह रिपोर्ट है. इसे दुनिया के सभी नेताओं और निर्णय लेने वालों को पढ़ना चाहिए. 2020 ग्रह और लोगों के लिए एक अभूतपूर्व साल था. यह कोविड-19 महामारी से प्रभावित रहा, लेकिन इस रिपोर्ट से पता चलता है कि 2020 प्रतिकूल मौसम और मौसम संबंधी आपदाओं के लिहाज से भी अभूतपूर्व वर्ष था.
चक्रवात अम्फान पिछले साल 20 मई को आया था और उससे भारत को करीब 14 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ.