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संविदा पर आधारित नियम को ना लाने की मांग को लेकर NSUI ने CM योगी का पुतला फूंका

उत्तर प्रदेश सरकार समूह ‘ख’ व समूह ‘ग’ की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है. प्रस्तावित व्यवस्था में चयन के बाद शुरुआती पांच वर्ष तक कर्मियों को संविदा के आधार पर नियुक्त किया जाएगा. इस नियम को लागू न करने की मांग को लेकर आज एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री का पुतला फूंका है.

NSUI Protest against yogi government in ghaziabad
NSUI ने CM योगी का पुतला फूंका

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Published : Sep 16, 2020, 9:55 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश सरकार समूह ‘ख’ व समूह ‘ग’ की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है. प्रस्तावित व्यवस्था में चयन के बाद शुरुआती पांच वर्ष तक कर्मियों को संविदा के आधार पर नियुक्त किया जाएगा. इस दौरान उन्हें नियमित सरकारी सेवकों को मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ नहीं मिलेंगे.

NSUI ने CM योगी का पुतला फूंका

पांच वर्ष की कठिन संविदा सेवा के दौरान जो छंटनी से बच पाएंगे. उन्हें ही मौलिक नियुक्ति मिल सकेगी. नई व्यवस्था में तय फार्मूले पर इनका छमाही मूल्यांकन होगा. इसमें प्रतिवर्ष 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले सेवा से बाहर होते रहेंगे. जो पांच वर्ष की सेवा तय शर्तों के साथ पूरी कर सकेंगे. उन्हें मौलिक नियुक्ति दी जाएगी. इस नीति के लागू होने से पहले ही कांग्रेस की छात्र संघ इकाई एनएसयूआई ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पुतला फूंकते हुए इस्तीफे की मांग की है.


NSUI ने CM योगी का पुतला फूंका

ईटीवी भारत को एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष राहुल शर्मा ने बताया कि उन्होंने आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पुतला फुंका है. क्योंकि योगी सरकार 5 साल संविदा पर आधारित सरकारी नौकरी देने का नियम बनाने की तैयारी कर रही है. यह गलत है. इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. ऊपर के अधिकारी मूल्यांकन के आधार पर नौकरी पाने वाले युवाओं का शोषण करेंगे और रिश्वत की मांग करेंगे. जो रिश्वत दे देगा उसका चयन कर लिया जाएगा, बाकी लोगों को नौकरी नहीं मिलेगी.


'इस नीति के लागू होने से बढ़ेगा भ्रष्टाचार'

एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष राहुल शर्मा का कहना है कि अगर सरकार को यह नियम बनाना है तो प्रधानमंत्री से लेकर विधायक तक यह नियम लागू किया जाएं. उनका भी 6 महीने के आधार पर ही मूल्यांकन करने के बाद 5 वर्ष दिए जाएं. इसलिए वह मांग करते हैं कि योगी सरकार इस नियम को लागू ना करें.

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