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दांव कितना दमदार, क्या नीतीश के नाम पर लामबंद हो पाएगा विपक्ष - Posters come up at the JDU office

बिहार के सीएम नीतीश कुमार दावा कर रहे हैं कि वह थर्ड फ्रंट नहीं बल्कि मेन फ्रंट बनाएंगे. इसके साथ ही पोस्टर-स्लोगन के जरिए निशाना साधने का दौर भी चल रहा है. अगले सप्ताह नीतीश दिल्ली में कई पार्टियों के नेताओं से मिलने की तैयारी में भी हैं. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

nitish kumar new political game
बिहार के सीएम नीतीश कुमार

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Published : Sep 2, 2022, 9:04 PM IST

नई दिल्ली : रीजनल पार्टी के नेता होते हुए भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) दावा कर रहे हैं कि वह थर्ड फ्रंट नहीं बल्कि मेन फ्रंट बनाएंगे. तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की बैठक के बाद लगता है इन तीन पार्टियों में प्रधानमत्री उम्मीदवार (pm candidate) के रूप में नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लग चुकी है. यही वजह है कि नीतीश कुमार के नाम के पोस्टर अब राज्यहित से ऊपर उठकर देशहित का हवाला देते हुए भी लगने लगे हैं. 'प्रदेश में दिखा अब देश दिखेगा' जैसे स्लोगन तैयार किए गए हैं. इनके पोस्टर भी लगाए जा रहे हैं,लेकिन सवाल यहां ये उठता है की क्या विपक्ष नीतीश के नाम पर लामबंद हो पाएगा.

जेडीयू ने तो नीतीश के नाम पर बढ़चढ़कर दावे करने शुरू भी कर दिए हैं. नीतीश कुमार अगले हफ्ते दिल्ली के दौरे पर रहेंगे और यहां पर वह सीपीएम,सीपीआई के नेताओं और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से भी मिलेंगे, लेकिन क्या कांग्रेस और बाकी पार्टियां नीतीश के पीएम उम्मीदवारी के नाम पर तैयार हो जाएंगी. ये अपने आप में बड़ा सवाल है. जेडीयू नेता जीतन राम मांझी ने तो ट्वीट करके साफ ही बोल दिया है कि नीतीश कुमार अब प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं, हालांकि ये कोई नई बात नहीं है. 2014 से पहले भी नीतीश कुमार के पीएम पद पर दावेदारी को लेकर खूब चर्चा हुई थी. अब एकबार फिर नीतीश थर्ड फ्रंट नहीं बल्कि एक कदम उससे भी आगे बढ़कर मेन फ्रंट बनाने की बात कर रहे हैं.

आखिर किसकी तरफ है इशारा :ना तो अभी कांग्रेस ने हामी भरी ना ही लेफ्ट ने मगर, दावा मेन फ्रंट बनाने का? इस सवाल पर पार्टी के एक नेता ने नाम न लेने की शर्त पर यहां तक कह दिया कि बीजेपी में कुछ कद्दावर नेता असंतुष्ट नजर आ रहे और उन्हें लगता है कि वह इस फ्रंट में शामिल हो सकते हैं. तो ये फ्रंट उनसे भी संपर्क साधने की योजना बना रहा है. तो क्या संकेत नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह या फिर सुशील मोदी सरीखे नेताओं की तरफ है.

जेडीयू का यहां तक दावा है कि यदि पिछले लोकसभा की तुलना में बीजेपी की 40 सीटें भी कम होती हैं तो बीजेपी अल्पमत में आ जाएगी, क्योंकि वह देशभर में घूम-घूमकर इतनी पार्टियों को मिलाने की कोशिश करेगी जिससे जितनी ज्यादा पार्टियां उनके खेमे में आएं उतनी सीट उनकी बढ़ती जाएगी. यानी महागठबंधन भी नही महा-महागठबंधन का ताना-बाना बुनने की कोशिश की जा रही है.

स्लोगन से साध रहे निशाना :जदयू के पोस्टर में जो स्लोगन दिए जा रहे हैं वह नीतीश और जेडीयू की महत्वाकांक्षा की तरफ इशारा कर रहे हैं,जिसमे एक स्लोगन यह भी है कि ‘आगाज हुआ: बदलाव होगा’. वहीं ‘आश्वासन नहीं, सुशासन’. यही नहीं सीधे तौर पर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना भी साधा गया है जिसमें लिखा गया है ‘जुमला नहीं, हकीकत’ और ‘मन की नहीं, काम की’, लेकिन 'राज्य में दिखा अब देश में दिखेगा' पोस्टर सीधे-सीधे पीएम उम्मीदवारी की तरफ इशारा है जो केंद्र की राजनीति की तरफ भी इंगित करता है.

'दिन में सपने देख रही जेडीयू' :बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल का कहना है कि 'जेडीयू दिन में स्वप्न देख रही है. नरेंद्र मोदी एक लोकप्रिय नेता हैं और जनता से उनकी जैसी कनेक्टिविटी है उसकी बड़ाई खुद नीतीश कुमार कर चुके हैं. आज गठबंधन से अलग हो गए हैं तो प्रधानमंत्री पद की बात कर रही जेडीयू. इसका फैसला 2024 में होगा जब मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा पहले से भी ज्यादा सीटें लेकर सत्ता में आएगी.

बहरहाल दावे अपने-अपने लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही पहले महागठबंधन की शुरुआत हो चुकी है, और उसकी वजह शायद राज्यों के चुनाव भी हैं.

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