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थावरचंद गहलोत ने कर्नाटक के 19वें राज्यपाल के रूप में ली शपथ - Thawarchand Gehlot takes oath as governor

पूर्व केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कर्नाटक के 19वें राज्यपाल बन गए हैं. के तौर पर शपथ ली. कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका ने राजभवन में गहलोत को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.

थावरचंद गहलोत
थावरचंद गहलोत

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Published : Jul 11, 2021, 11:37 AM IST

Updated : Jul 11, 2021, 1:11 PM IST

बेंगलुरु : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने रविवार को कर्नाटक के 19वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली. वह वजुभाई रुदाभाई वाला की जगह लेंगे. कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका ने निवर्तमान राज्यपाल वजुभाई वाला, मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों, सांसदों, विधायकों, मुख्य सचिव पी रवि कुमार और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में राजभवन में गहलोत को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.

सफेद सूट पहने और हिमाचली टोपी लगाए, गहलोत ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ईश्वर को साक्षी मानकर ली, शपथग्रहण समारोह के बाद, न्यायमूर्ति ओका, वाला और येदियुरप्पा ने नए राज्यपाल को गुलदस्ते भेंट किए और उन्हें बधाई दी.

गहलोत (73) केंद्र में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थे और दक्षिणी राज्य में नया प्रभार संभालने से पहले राज्यसभा में सदन के नेता थे. राष्ट्रपति ने गहलोत को कर्नाटक का नया राज्यपाल नियुक्त किए जाने की छह जुलाई को घोषणा की थी.

गहलोत का राजनीतिक सफर
मध्य प्रदेश के उज्जैन में रुपेटा में दलित परिवार में 18 मई, 1948 को जन्मे गहलोत ने उज्जैन स्थित विक्रम विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री प्राप्त की थी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल रहे, गहलोत ने 1962 में जनसंघ में शामिल होकर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की और भाजपा में कई प्रमुख पदों पर रहे.

उनकी चुनावी राजनीति 1980 में शुरू हुई और वह 1996 में लोकसभा के सदस्य चुने जाने से पहले तीन बार विधायक निर्वाचित हुए. लोकसभा के लिए वह 2009 तक लगातार चार बार चुने गए. वह राज्यसभा के भी सदस्य रहे.

आपातकाल के दौरान जेल गए
गहलोत कर्नाटक के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं क्योंकि 2006 से 2014 के बीच वह तब पार्टी के प्रदेश प्रभारी रहे जब वह भाजपा के महासचिव थे. गहलोत मजदूरों का मुद्दा उठाने के लिए 1968 से 1971 के बीच कई बार और 1970 के दशक में लागू आपातकाल के दौरान जेल गए थे.

भले ही 83 वर्षीय वाला का पांच साल का कार्यकाल अगस्त, 2019 में समाप्त हो गया था, लेकिन वह पद पर बने रहे क्योंकि उनके उत्तराधिकारी का नाम केंद्र ने तय नहीं किया था.

राजनीतिक दृष्टि से, वाला मई, 2018 में कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के लिए परेशानी खड़ी करते हुए भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने को लेकर आलोचना का शिकार हुए थे. कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन ने उनकी कार्रवाई को 'गुजराती कारोबारी' के काम जैसा कहा था.

कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन ने जुलाई 2019 में एचडी कुमारस्वामी के विश्वासमत के दौरान बार-बार अंतिम समयसीमा निर्धारित कर विधानसभा की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने को लेकर उनपर निशाना साधा था.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jul 11, 2021, 1:11 PM IST

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