नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केरल के होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण संकाय के सदस्यों की सेवानिवृत्ति की आयु 55 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष करने की याचिका खारिज कर दी है. याचिका में कहा गया था कि सरकार के 14 जनवरी, 2010 के सरकारी आदेश (जीओ) का लाभ उन्हें भी मिलना चाहिए जबकि याचिकाकर्ता 1 मई, 2009 को सेवानिवृत हो चुके थे. याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि यहां अपीलकर्ता सेवानिवृत्ति की विस्तारित आयु को पूर्वव्यापी रूप से लागू करने के निहित अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं.
शीर्ष अदालत ने 25 अगस्त के अपने फैसले में उन विभिन्न कारकों पर गौर किया, जिनकी वजह से राज्य सरकार को सेवानिवृत्ति की आयु 55 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष करने पर मजबूर होना पड़ा. कोर्ट के फैसले में नोट किया कि पदोन्नति के लिए मध्य स्तर के कैडर में योग्य हाथों की कमी को देखते हुए कई स्नातकोत्तर मेडिकल पाठ्यक्रमों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना थी.
शीर्ष अदालत में यह तथ्य भी नोट किया कि इस फैसले के बाद से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में वरिष्ठ प्रोफेसरों को सेवा में बनाए रखने से मदद मिलेगी. जिससे राज्य सरकार मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा प्रसारित संशोधित मानदंडों के अनुसार स्नातकोत्तर सीटों की संख्या बढ़ा सकेती.
पीठ ने आगे कहा कि चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने कहा था कि वरिष्ठ दंत चिकित्सा संकाय के कुछ उच्च योग्य सदस्य सेवानिवृत्त होने वाले थे और उनकी सेवानिवृत्ति से उनके अधीन काम करने वाले शोध छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. पीठ ने कहा कि जब 7 अप्रैल, 2012 के तीसरे जी.ओ. की बात आई, तो उसमें आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के निदेशक की रिपोर्ट का उल्लेख किया गया, जिन्होंने उच्च श्रेणियों में योग्य शिक्षण कर्मचारियों की कमी की ओर इशारा किया था.
इस परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए, राज्य ने आयुर्वेद कॉलेजों में शिक्षण संकाय की सेवानिवृत्ति की आयु 56 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष करने का निर्णय लिया. पीठ ने कहा अंत में कहा कि 9 अप्रैल, 2012 को जीओ. आया, जिसमें सरकारी होम्योपैथिक कॉलेज, तिरुवनंतपुरम के प्रिंसिपल से प्राप्त प्रतिनिधित्व पर ध्यान देते हुए, होम्योपैथिक कॉलेजों में शिक्षण कर्मचारियों को समान लाभ दिया गया था. इसमें आगे कहा गया है कि एकमात्र अंतर यह था कि 14 जनवरी, 2010 के जीओ के विपरीत, राज्य द्वारा जारी किए गए बाद के तीन जीओ. को संभावित बना दिया गया था.