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आत्मनिर्भर भारत के लिये शिक्षा में शोध की दिशा बदलने की जरूरत : अतुल कोठारी - Atul Kothari

संघ से सम्बद्ध संस्था शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के द्वारा कोरोना महामारी के दौर और उसके बाद में उच्च शिक्षा विषय पर आयोजित विमर्श में न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत को बनाने के लिये कौशल विकास, शोध और नवाचार को साथ मिला कर विचार करने की जरूरत है.

Atul Kothari
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Published : Oct 17, 2021, 10:37 PM IST

नई दिल्ली : संघ से सम्बद्ध संस्था शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के द्वारा कोरोना महामारी के दौर और उसके बाद में उच्च शिक्षा विषय पर आयोजित विमर्श में न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत को बनाने के लिये कौशल विकास, शोध और नवाचार को साथ मिला कर विचार करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि इसके लिये देश में शोध की दिशा को बदलना होगा. देश ने सूचना प्रद्योगिकी और सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में अच्छा विकास किया है, लेकिन हार्डवेयर के मामले में हम आज भी पिछड़े हुए हैं. उदाहरण के तौर पर देश में मोबाइल फोन तो बनाए जा रहे हैं, लेकिन सभी पार्ट्स विदेशों से ही आते हैं. हम यहां असेम्बल कर देते हैं.

उच्च शिक्षा में छात्रों के समग्र मूल्यांकन पर जोर देते हुए शिक्षाविद अतुल कोठारी ने कहा कि अब तक शिक्षा नीति में केवल परीक्षा के आधार पर छात्रों का मूल्यांकन होता रहा है. नई शिक्षा नीति समग्र मूल्यांकन की बात करती है, लेकिन मूल्यांकन की प्रक्रिया में तकनीक का इस्तेमाल हो इस पर विचार करने की आवश्यकता है.

अतुल कोठारी ने कोरोना काल में शिक्षा में आई दिक्कतें और परीक्षा के न होने की परिस्थिति पर बात करते हुए कहा कि क्या शिक्षा में हम इस तरह की तकनीक से मूल्यांकन कर सकते हैं, जिसमें बिना परीक्षा के भी छात्रों को अलग-अलग आधार पर उनका मूल्यांकन किया जा सके. इस प्रक्रिया में अभिभावको को भी शामिल किया जा सकता है.

भारत के शिक्षण जगत में कोरोना काल के बाद उपयोग में आई कुछ शब्दावली पर भी न्यास के सचिव ने आपत्ति जताई. अतुल कोठारी ने कहा कि 'सोशल डिस्टेंसिंग' और 'ऑफ लाइन' जैसे शब्दों को हमने अमेरिका जैसे देशों में उपयोग होने के बाद अपना लिया, लेकिन इनका वास्तविक अर्थ सही नहीं है. हमें अपने शब्द खुद चुनने की आवश्यकता है. सोशल डिस्टेंसिंग जैसे शब्द भारत में असामाजिक हैं.

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नई शिक्षा नीति 2020 आने के बाद से अब तक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने वर्चुअल और फिजिकल माध्यम से 400 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किये हैं. न्यास के राष्ट्रीय सचिव ने इस मौके पर कहा की देश में एक अलग तरह के अकादमिक माहौल बनाने की आवश्यकता है, जिससे हमारे विश्वविद्यालय भी विश्व के उच्च श्रेणी में आ सके. आज विश्व के टॉप 200 विश्वविद्यालयों में यदि हमारे एक भी विश्वविद्यालय शामिल नहीं हैं तो यह एक गंभीर विषय है.

पूरे दिन चले राष्ट्रीय परिसंवाद के दौरान कोविड काल के पश्चात पाठ्यक्रम में सुधार, आत्मनिर्भर भारत के लिए कौशल शिक्षा उद्यमिता, कोविड काल के पश्चात आंकलन एवं मूल्यांकन, शिक्षा की गुणवत्ता में प्रौद्योगिकी और सुधार जैसे विषयों पर चर्चा हुई, जिसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए.

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