छत्तीसगढ़ में भूमिपूजन और लोकार्पण की राजनीति, जानिए किसे करना चाहिए संसद भवन का लोकार्पण
दिल्ली में संसद भवन के लोकार्पण को लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने है. वहीं छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने प्रदेश सरकार पर नई विधानसभा के भूमिपूजन कार्यक्रम में राज्यपाल को अपमानित करने का आरोप लगाया है. इस मामले में ये जानना जरूरी है कि चाहे विधानसभा हो या संसद, किसे दोनों का लोकार्पण करने का अधिकार सबसे पहले है.
छत्तीसगढ़ में भूमिपूजन और लोकार्पण की राजनीति
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Published : May 27, 2023, 9:49 PM IST
छत्तीसगढ़ में भूमिपूजन और लोकार्पण की राजनीति
रायपुर :नए संसद भवन का लोकार्पण 28 मई को होना है. लेकिन इससे पहले ही इसके लोकार्पण को लेकर राजनीति चरम पर है. कांग्रेस का आरोप है कि लोकार्पण कार्यक्रम में राष्ट्रपति को निमंत्रण नहीं दिया है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी राजनीति चमकाने के लिए इसका लोकार्पण खुद कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में भी इसी बात को लेकर कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर है. बीजेपी ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि नवा रायपुर में विधानसभा का भूमिपूजन सीएम भूपेश बघेल और विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने किया था, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी वर्चुअली शामिल थे, लेकिन राज्यपाल को नहीं बुलाया गया.
नवा रायपुर में विधानसभा
नवा रायपुर में विधानसभा
नवा रायपुर के विधानसभा भूमिपूजन पर बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा : नए संसद भवन को लेकर हो रही राजनीति के बीच बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह ने कांग्रेस को घेरा. रमन सिंह की मानें तो "संसद भवन के लोकार्पण कार्यक्रम में विपक्षी दोहरा चरित्र दिखा रहे हैं. छत्तीसगढ़ में नवा रायपुर में बन रहे नई विधानसभा के भूमिपूजन में कांग्रेस ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को बुलाया. सीएम भूपेश बघेल और चरणदास महंत की मौजूदगी में भूमिपूजन हुआ. लेकिन अनुसूचित जनजाति से आने वाली प्रदेश की राज्यपाल को ना तो बुलाया गया और ना ही इस बारे में पूछा गया. आज देश का सर्वोच्च पद अनुसूचित जनजाति की महिला द्रौपदी मुर्मू के पास है, जो विपक्ष के नेताओं को नहीं पच रहा."
छत्तीसगढ़ में भूमिपूजन और लोकार्पण की राजनीति
रमन सिंह को कांग्रेस ने दिया करारा जवाब : रमन सिंह के बयान पर सीएम भूपेश बघेल ने पलटवार किया है. सीएम ने नई विधानसभा के भूमिपूजन में तत्कालीन राज्यपाल के शामिल न होने की वजह बताई और विपक्ष के लोगों के आयोजन का साक्षी बनने की याद भी दिलाई.
छत्तीसगढ़ में भूमिपूजन और लोकार्पण की राजनीति
"नवा रायपुर में नई विधानसभा का भूमिपूजन हुआ था, न कि उद्घाटन. इस दौरान विपक्ष को भी कार्यक्रम में शामिल किया गया. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का भी नाम पट्टिका में है. उन्होंने मंच से भाषण दिया. वहां सबकी सहमति है, लेकिन यहां तो विपक्ष को पूछा ही नहीं गया. दिल्ली में यही दिक्कत है कि विपक्ष से बात ही नहीं की. छत्तीसगढ़ में बातचीत करके ही विधानसभा पर सब कुछ तय किया गया, लेकिन संसद पर कोई बातचीत ही नहीं गई, दोनों में अंतर है."-भूपेश बघेल, सीएम छत्तीसगढ़
'मोदी की गलती पर पर्दा डाल रहे रमन सिंह':कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि"हमने तो नेता प्रतिपक्ष और विपक्ष के लोगों को भी बुलाया था. वे लोग भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. विधानसभा की पट्टिका में उनके नाम का उल्लेख है. लेकिन संसद भवन के लोकार्पण कार्यक्रम के लिए राष्ट्रपति को निमंत्रण ही नहीं भेजा गया है. डॉ रमन सिंह मोदी की गलती पर पर्दा डालने के लिए छत्तीसगढ़ का उल्लेख कर रहे हैं."
क्या है राजनीति के जानकार का कहना : इस पूरे मामले में राजनीति के जानकारों की अपनी अलग राय है. वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा के मुताबिक ''विधानसभा का प्रमुख वहां का अध्यक्ष होता है. वही उद्घाटन करते हैं. यदि अध्यक्ष नहीं है तो राज्यपाल को बुलाया जाता है. राज्यपाल इस संवैधानिक संस्था का मुखिया है. इसी तरह यदि देश में संसद भवन का निर्माण हुआ है तो उसका लोकार्पण राष्ट्रपति को करना चाहिए. इसके पहले भी यही परंपरा रही है. यदि पूर्व की बात की जाए तो संसद भवन में लाइब्रेरी तक के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को बुलाया गया था. यदि राहुल गांधी सहित पूरा विपक्ष राष्ट्रपति के हाथों संसद भवन के लोकार्पण की मांग कर रहे हैं तो यह बिल्कुल सही है.''
कुल मिलाकर बाय साफ है कि राज्य में राज्य के सर्वोच्च व्यक्ति यानी राज्यपाल और देश में देश के सर्वोच्च व्यक्ति यानी राष्ट्रपति से भूमिपूजन और लोकार्पण कराया जाना चाहिए. चाहे इस मामले में राज्य हो या केंद्र दोनों की ही विचारधारा एक जैसी होनी चाहिए, ताकि किसी भी स्तर पर कोई विवाद ना हो.