नई दिल्ली :प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने एक बयान में कहा कि इनमें से अधिकतर कलाकृतियां व वस्तुएं 11वीं से 14वीं शताब्दी के बीच की हैं. पीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने इन कलाकृतियों को लौटाने के लिए अमेरिका का धन्यवाद किया है.
उसके मुताबिक प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चोरी, अवैध व्यापार और सांस्कृतिक वस्तुओं की तस्करी को रोकने के प्रयासों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई. इन 157 कलाकृतियों व वस्तुओं में 10वीं शताब्दी की बलुआ पत्थर से तैयार की गई डेढ़ मीटर की नक्काशी से लेकर 12वीं शताब्दी की उत्कृष्ट कांसे की 8.5 सेंटीमीटर ऊंची नटराज की मूर्ति शामिल है.
पीएमओ ने कहा कि इनमें से अधिकतर वस्तुएं 11वीं से लेकर 14वीं शताब्दी की हैं और सभी ऐतिहासिक भी हैं. इनमें मानवरूपी तांबे की 2000 ईसा पूर्व वस्तु या दूसरी शताब्दी की टैराकोटा का फूलदान है. लगभग 71 प्राचीन कलाकृतियां सांस्कृतिक हैं वहीं शेष छोटी मूर्तियां हैं जिनका संबंध हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म से है.
यह सभी धातु, पत्थर और टैराकोटा से बनी हैं. कांसे की वस्तुओं में लक्ष्मी नारायण, बुद्ध, विष्णु, शिव-पार्वती और 24 जैन तीर्थंकरों की भंगिमाएं शामिल हैं. कई अन्य कलाकृतियां भी हैं जिनमें कम लोकप्रिय कनकलामूर्ति, ब्राह्मी और नंदीकेसा शामिल है.
अधिकारियों के मुताबिक, कुछ 45 प्राचीन कालीन वस्तुएं ईसवी पूर्व की हैं.
पीएमओ ने कहा कि यह देश की प्राचीन कलाकृतियों व वस्तुओं को दुनिया के विभिन्न हिस्सों से स्वदेश वापस लाने का केंद्र सरकार के प्रयासों का हिस्सा है. बता दें, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन सांस्कृतिक वस्तुओं की चोरी, अवैध व्यापार और तस्करी से निपटने के अपने प्रयासों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.